ईरान के बगदाद में रहने वाली जैनब एक रेस्तरां में सब्जियां धोने का काम करती हैं और दिन का 20,000 दीनार कमाती हैं. लेकिन इन पैसों से वह अपने परिवार के लिए खाने का बंदोबस्त नहीं कर पातीं.
वह बताती है कि स्कूल की फीस अधिक होने की वजह से उनकी बेटियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ी. जैनब का बॉस उन्हें अपना बचा हुआ खाना देता है, जिसमें अधिकतर तेल और मसाला होता है. गुरुवार हफ्ते में एकमात्र दिन है, जब उन्हें और उनकी बेटी को फल खाने को मिलते हैं क्योंकि उस दिन उनके आसपास के लोग खाना दान करते हैं.
जैनब का वजन 120 किलोग्राम है. उनकी चार बेटियों में से कोई भी काम नहीं करती. उनका वजन बढ़ने की भी संभावना है. जैनब को डर है कि बेटियों को बाहर काम पर भेजने से वे पुरुषों के उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं. इसलिए वह उन्हें बाहर भेजने के बजाए तंगी में रखना पसंद करेंगी. जैनब की बेटियां घर पर रहकर ही घरेलू कामकाज करती हैं. जैनब कभी-कभार उन्हें आइसक्रीम खिलाने या किसी धार्मिक स्थल पर ले जाती हैं.
दुनियाभर में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वजन अधिक है. मोटापा 15 फीसदी महिलाओं और 11 फीसदी पुरुषों की समस्या है, इसका मतलब है कि उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 30 या इससे अधिक है. लेकिन मोटापे में यह अंतर दुनियाभर में अलग-अलग है.
मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका में महिला और पुरुषों के बीच मोटापे में सबसे अधिक अंतर है. दक्षिण अफ्रीका के कई देशों में यह अंतर बहुत अधिक है. मिडिल ईस्ट में 26 फीसदी महिलाओं का वजन अधिक है जबकि पुरुषों में यह दर 16 फीसदी है. मोटापा खतरनाक भी हो सकता है.
2019 में जिन 11 देशों में मोटापे की वजह से अधिक मौतें हुईं, उनमें आठ अरब देश हैं. ये मौतें अधिकतर दिल की बीमारियों, मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की वजह से हुईं.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अरब देशों में कम ही महिलाएं नौकरी करती हैं. इराक में दस में से एक ही महिला नौकरीपेशा है. इसका मतलब है कि अरब की ज्यादातर महिलाएं घर के भीतर ही रहती हैं, जिससे उनकी शारीरिक गतिविधियां नहीं हो पाती.
वहीं, अन्य क्षेत्रों में कामकाजी महिलाएं अस्पतालों, कक्षाओं और रेस्तरां में काम करती हैं. लेकिन अरब देशों में इस तरह की नौकरियां अधिकतर पुरुषों द्वारा ही की जाती हैं.
अरब देशों में महिलाओं के पास खेल का लुत्फ उठाने के कम ही मौके होते हैं. लड़के और लड़कियां गलियों में एक साथ फुटबॉल खेलते हैं. लेकिन एक बार लड़की के युवावस्था में पहुंचने पर उनके सड़कों पर खेलने पर भौंहे तन जाती हैं. किशोर लड़कियों का घूमना फिरना बंद हो जाता है, वे घर पर ही दोस्तों से मिलती हैं.
हफ्ते में चार बार बाहर फुटबॉल खेलने वाले एक इराकी शख्स कहते हैं, हम नहीं चाहते कि लड़कियां बाहर निकलें.
किसी मामले में हिजाब या महिला के शरीर को ढकने वाला कोई भी कपड़ा पब्लिक एक्सरसाइज को मुश्किल बना देता है. सड़कों पर उत्पीड़न भी महिलाओं की जॉगिंग में खलल डालता है.
एक इराकी महिला कहती है, जब मैं अपने पालतू कुत्तों को घूमाती हूं तो लोगों के कमेंट या फब्तियों से बचने के लिए म्यूजिक सुनना शुरू कर देती हूं.
मिस्र में गरीब महिलाओं का वजन अमीरों की तुलना में औसतन अधिक होता है. अमीर परिवार अपनी बेटियों के बाहर निकलने को लेकर अधिक आश्वस्त होते हैं. फिर भी प्रशांत द्वीपों को छोड़कर मिस्र में दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में महिलाओं का बीएमआई सबसे अधिक होता है
मिस्र के लोगों को 30 फीसदी कैलोरी ब्रेड से मिलती है. वहां एक किलो ब्रेड की कीमत 0.61 डॉलर है. 1975 से अरब महिलाओं का वजन अरब पुरुषों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है.
बगदाद की एक महिला वफा अल खैताब वजन कम करना चाहती हैं. वह कहती हैं, इराक लोगों की समस्या कार्बोहाइड्रेट है. उनका परिवार रोजाना हर मील में ब्रेड और चावल खाता है.
कुछ महिलाओं के मुताबिक, मोटापे की असल वजह यह है कि अरब के कई पुरुष को प्लस साइज (Rubenesque) महिलाओं को पसंद करते हैं.
इराक की एक अन्य महिला शिरीन राशिद वजन कम करना चाहती हैं. महिलाओं के घर की चारदीवारी में रहने से उनमें वजन बढ़ने लगता है.
एक अन्य इराकी महिला शिरीन राशिद अपना वजन कम करना चाहती हैं लेकिन ज्यादा नहीं.
वह कहती हैं, जब आप बहुत पतली होती हैं तो आप अपना स्त्रीत्व खो देती हैं. मेरे पति नहीं चाहते कि मैं वजन कम करूं. उन्हें डर है कि वजन करने से मैं लकड़ी के टुकड़े जैसी लगूंगी.
इराक के लोग अक्सर कर्वी (Curvey) अभिनेत्री एनस तालेब को सौंदर्य का प्रतीक मानते हैं. कुछ दावा करते हैं कि इराक की महिलाएं अधिक आकर्षक लगने के लिए वजन बढ़ाने की पिल्स लेती हैं.
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