विटामिन P, जिसे फ्लेवोनोइड्स या बायोफ्लेवोनोइड्स के नाम से भी जाना जाता है, येलो पॉलीफेनोलिक कंपाउंड का एक बड़ा समूह है जो आमतौर पर प्लांट बेस्ड फूड्स जैसे कि सब्जियों, डार्क कलर के फलों और कोको में पाया जाता है.
क्वेरसेटिन, रुटिन, हेस्पेरिडिन और कैटेचिन जैसे बायोफ्लेवोनॉइड्स ज्यादातर पौधों को गहरा रंग देते हैं और उनके एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और हार्ट डिजीज को रोकने में मदद करते हैं. हालांकि हमारा शरीर बायोफ्लेवोनॉइड्स का उत्पादन नहीं कर सकता है, लेकिन ये इम्यूनिटी को सपोर्ट करने, विटामिन सी की एक्टिविटी को बढ़ाने और क्रॉनिक डिजीज से बचाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
डार्क चॉकलेट का करें सेवन- हाई क्वालिटी वाली डार्क चॉकलेट, खासतौर से कम से कम 70% कोको वाली, कैटेचिन और प्रोसायनिडिन जैसे फ्लेवोनोइड्स से भरपूर होती हैं. रोजाना डार्क चॉकलेट का एक छोटा टुकड़ा खाने से आपकी शुगर क्रेविंग शांत हो सकती है और साथ ही एंटीऑक्सीडेंट भी मिलते हैं.
सेब- सेब, खास तौर पर छिलके समेत खाने पर, क्वेरसेटिन नामक बायोफ्लेवोनॉयड से भरपूर होते हैं. सेब के छिलके में सबसे ज़्यादा फ्लेवोनॉयड्स होते हैं, इसलिए अपने विटामिन पी का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने के लिए सेब को छीलें नहीं.
ग्रीन टी या ब्लैक टी- ग्रीन और ब्लैक दोनों ही चाय में कैटेचिन की अच्छी मात्रा होती है, जो फ्लेवोनोइड्स का एक बहुत ही एक्टिव ग्रुप है. ये दोनों तरह की चाय बायोफ्लेवोनोइड्स की आपकी जरूरतों को पूरा कर सकता है.
बेरीज को करें डाइट में शामिल- ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी जैसे बेरीज एंथोसायनिन और क्वेरसेटिन से भरपूर होते हैं. जो बायोफ्लेवोनोइड्स के रूप हैं. नियमित रूप से बेरीज खाने से न केवल विटामिन P की कमी पूरी होती है बल्कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर मात्रा में होते हैं.
खट्टे फलों को करें डाइट में शामिल- संतरे, नींबू, अंगूर जैसे फल बायोफ्लेवोनोइड्स, खासतौर पर हेस्पेरिडिन और रूटीन के परफेक्ट सोर्स हैं. खट्टे फलों के सफेद गूदे और झिल्लियों में बायो फ्लेवोनोइड्स बहुत अधिक होते हैं, इसलिए जब भी संभव हो, इन्हें भी डाइट में शामिल करें.