भारत की फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड अथॉरिटी (FSSAI) ने पिछले साल मार्केट में मिलने वाली पैक्ड ड्रिंक्स और मिनरल वॉटर को पिछले साल हाई रिस्क फूड कैटेगरी में शामिल किया था. मिनरल वॉटर और डिब्बाबंद जूस पीना आजकल आम हो गया है, खासकर जब हम बाहर होते हैं या जल्दी में होते हैं. लेकिन अक्सर लोग इसके संभावित साइड इफेक्ट्स को नज़रअंदाज कर देते हैं. चलिए जानते हैं कि इनमें क्या छिपा होता है और ये हमारे शरीर पर कैसे असर डाल सकते हैं.
मिनरल वॉटर के साइड इफेक्ट्स:
प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन: ज़्यादातर बोतलबंद पानी प्लास्टिक की बोतलों में आता है. अगर ये बोतलें गर्मी में या धूप में रखी जाती हैं, तो इनमें से BPA (Bisphenol A) जैसे रसायन निकल सकते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन और कैंसर जैसी समस्याओं से जुड़े हैं.
माइक्रोप्लास्टिक का खतरा: रिसर्च के अनुसार, बोतलबंद पानी में अक्सर माइक्रोप्लास्टिक पाए जाते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर आंतों, लिवर और किडनी को प्रभावित कर सकते हैं.
जरूरत से ज़्यादा मिनरल्स: कुछ मिनरल वॉटर ब्रांड्स में सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम अधिक मात्रा में होते हैं, जो ब्लड प्रेशर, किडनी स्टोन, या हार्ट हेल्थ पर असर डाल सकते हैं.
डिब्बाबंद जूस के साइड इफेक्ट्स:
अत्यधिक शुगर: पैक्ड जूस में अक्सर बहुत ज़्यादा चीनी होती है, जिससे डायबिटीज़, वज़न बढ़ना, और डेंटल प्रॉब्लम्स हो सकते हैं.
कृत्रिम फ्लेवर और प्रिज़र्वेटिव्स: इनमें मौजूद सोडियम बेंजोएट, पोटेशियम सोर्बेट जैसे प्रिज़र्वेटिव्स और आर्टिफिशियल कलर/फ्लेवर से एलर्जी, पेट खराब, या लिवर पर असर हो सकता है.
फाइबर की कमी: ताज़े फलों के मुकाबले, डिब्बाबंद जूस में फाइबर न के बराबर होता है. इससे शरीर को उतना फायदा नहीं मिलता, जितना कि ताज़े फलों या जूस से मिल सकता है.