डायबिटीज की समस्या आजकल के समय में काफी ज्यादा बढ़ रही है. भारत में भी डायबिटीज के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. डायबिटीज में लाइफस्टाइल और खानपान का ख्याल रखकर आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं. आज हम आपको लोगों की कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे डायबिटीज बढ़ने के चांसेस काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. डायबिटीज की समस्या का सामना तब करना पड़ता है जब पैंक्रियाज इंसुलिन को बनाने में सक्षम नहीं होता या शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. आयुर्वेद में कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताया गया है जिनकी वजह से डायबिटीज का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. आइए जानते हैं इनके बारे में-
रोजाना दही खाना- दही को एक प्रोबायोटिक फूड माना जाता है. दही सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. आयुर्वेद के मुताबिक, आपको दही का सेवन रोजाना नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे ज्यादा खाने से वजन बढ़ना, खराब मेटाबॉलिज्म और इंफ्लेमेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है.
हैवी डिनर- ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपना डिनर काफी लेट करते हैं. इससे आपके डाइजेस्टिव सिस्टम पर काफी बुरा असर पड़ता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिनर और सोने के बीच कम से कम 2 से 3 घंटे का गैप जरूर रखें. रात में हैवी डिनर करने से लिवर पर काफी ज्यादा भार बढ़ जाता है और मेटाबॉलिज्म भी काफी धीरे काम करता है. जिससे आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
जरूरत से ज्यादा खाना- ऐसे बहुत से लोग है जो अपनी प्लेट में काफी ज्यादा खाना रख लेते हैं जिसके बाद उस खाने को खत्म करने के चक्कर में उन्हें ओवरईटिंग करनी पड़ती है. बता दें कि भूख से ज्यादा जब आप खाते हैं तो इससे मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और पाचन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
भूख ना लगने पर भी खाना- अगर आप अपने बॉडी के संकेतों पर ध्यान दिए बिना ही खाना खाते हैं तो इससे आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कई बार लोग स्ट्रेस में होने पर भूख ना लगने के बावजूद भी बहुत ज्यादा मात्रा में खाना खाने लगते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भूख ना लगने पर जबरदस्ती खाने की कोशिश ना करें.
तो अगर आप भी प्री-डायबिटीज या डायबिटीज की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो जरूरी है कि अपनी इन आदतों में सुधार करें. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन आदतों के कारण आपको इंसुलिन सेंसिटिविटी, मेटाबॉलिज्म और पोषण से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.