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ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं? जानें- क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं. भारत में भी कई राज्यों में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीच छोटे बच्चों के स्कूल खोले जाने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं. पल्मोनोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर लेंसलॉट पिंटो ने खास बातचीत में बताया है कि फिलहाल स्कूलों को खोलना कितना सही है और बच्चों का स्कूल जाना कितना सुरक्षित है.

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ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने पेरेंट्स की चिंता बढ़ा दी है
ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने पेरेंट्स की चिंता बढ़ा दी है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बच्चों में ओमिक्रॉन का खतरा कम
  • स्कूल खुलने पर पेरेंट्स की बढ़ी चिंता
  • बच्चों की सुरक्षा पर सवाल

कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे के बीच कई राज्यों में स्कूल खोलने की तैयारी कर ली गई है. BMC ने भी पहली से सातवीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का आदेश दिया है. कई पेरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या प्रशासन की ओर से उठाया गया ये कदम सही है? ज्यादातर माता-पिता कहते हैं कि वो चाहते हैं कि उनके बच्चे स्कूलों में पढ़ें, फिर भी इन लोगों में डर और चिंता बनी हुई है. मुंबई में हर दिन कोरोना के 150-250 मामले दर्ज हो रहे हैं. साथ ही, राज्य में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने भी लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. इंडिया टुडे ने पल्मोनोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर लेंसलॉट पिंटो से इस विषय पर खास बातचीत की है ताकि पता लगाया जा सके कि स्कूल खुलने से बच्चों को किस तरह का खतरा हो सकता है.

क्या बच्चों का स्कूल जाना सुरक्षित है?

डॉक्टर पिंटो का कहना है कि कोविड के दौरान आमतौर पर पूरी दुनिया में बच्चे सुरक्षित रहे हैं. बच्चों को संक्रमण हो सकता है लेकिन यह हल्का होता है. उन्हें हल्की खांसी और जुकाम होता है और फिर ये ठीक हो जाता है. कोई भी गारंटी नहीं दे सकता कि बच्चों को संक्रमण नहीं होगा. लेकिन माता-पिता को धैर्य से काम लेना होगा और इस सच्चाई को स्वीकारना होगा कि ज्यादातर इंफेक्शन हल्के होते हैं और स्कूल में पढ़ाई के फायदे इन जोखिम से कहीं ज्यादा हैं.

बंद जगहों पर पढ़ने से बच्चों को खतरा नहीं है?

डॉक्टर का कहना है कि हां, ये एक खतरा है इसलिए टीचर्स और प्रबंधन को सुरक्षा उपायों पर जोर देना होगा. उन्हें देखना होगा कि मास्क पहनने जैसे कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है या नहीं. सही वेंटिलेशन पर ध्यान देना चाहिए. क्रॉस वेंटिलेशन के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखनी चाहिए. अगर बच्चे वैकल्पिक दिनों में आ सकते हैं तो इसकी भी व्यवस्था की जानी चाहिए. कक्षा के अंदर सुरक्षित दूरी भी सुनिश्चित करना जरूरी है.

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बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है फिर स्कूल भेजना कितना सेफ?

डॉक्टर पिंटो के अनुसार, जीरो प्रिवेलेंस स्टडी कहती है कि 50-60% बच्चों में वैक्सीन के बिना पहले से ही एंटीबॉडीज हैं. इसका मतलब है कि लगभग 60% बच्चों को पहले से ही संक्रमण हो चुका है और फिर भी हमने अस्पतालों में बच्चों की संख्या कम देखी है क्योंकि बच्चों में संक्रमण प्राकृतिक रूप से हल्का था. इसलिए भले ही उन्हें वैक्सीन ना लगी हो, फिर भी कक्षा के 2/3 बच्चों में पहले से ही कुछ इम्यूनिटी है, जिसकी हम उम्मीद कर रहे हैं. अगर हम बच्चों के वैक्सीनेशन का इंतजार करते रहे तो अगले एक साल तक स्कूल नहीं खोले जा सकेंगे.

क्या बच्चों के संक्रमित होने की संभावना कम है?

बच्चों में गंभीर बीमारी होने की संभावना बहुत कम होती है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने से वो लक्षण वाले मरीजों के संपर्क में आ सकते हैं. बच्चों से बड़ों को संक्रमण होने का खतरा रहता है. इसलिए सभी वयस्कों को वैक्सीन की दोनों डोज लेनी जरूरी है. अगर बच्चे अपने घर के ऐसे बुजुर्गों से मिलने जा रहे हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है तो उन्हें खतरा ज्यादा है. इसलिए बच्चे जहां 60% गंभीर संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं वहीं 40% में संक्रमण होने की संभावना भी होगी. स्कूल के टीचर्स और स्टाफ का वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है.

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मुंबई में अब भी रोजाना 150-250 केस सामने आ रहे हैं

डॉक्टर पिंटो कहते हैं, 'कोई ये नहीं कह रहा कि स्कूलों को अनिश्चितकाल के लिए खोल दिया जाए. हम केवल इतना कह रहे हैं कि ये एक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए. अगर पॉजिटिविटी रेट बढ़ता है, मामले बढ़ते हैं या फिर अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती है तो स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद कर देना चाहिए. ये एक नोटिस के जरिए भी किया जा सकता है. स्कूलों को बंद करना आसान है लेकिन उन्हें अनिश्चित काल के लिए बंद रखना हमारे बच्चों के हित में नहीं है.'

सरकार की क्या नीतियां होनी चाहिए क्योंकि और भी वैरिएंट्स आ सकते हैं

ओमिक्रॉन के बारे में अभी हमें बहुत कुछ पता नहीं है. हम इसके बारे में और जानने की कोशिश कर रहे हैं. ये शायद वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी से बच सकता है. अगर हम देखते हैं कि वैक्सीन लगवाने वालों को भी ओमिक्रॉन हो रहा है तो हमें फिर स्कूलों को बंद करने की जरूरत पड़ेगी. भविष्य में और भी वैरिएंट्स आ सकते हैं जो ज्यादा संक्रामक और गंभीर हो सकते हैं इसलिए हमें अपनी नीतियों में इसके मुताबिक बदलाव करना चाहिए. हमें एक गतिशील प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है.

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पेरेंट्स के लिए संदेश

पेरेंट्स को खास संदेश देते हुए डॉक्टर पिंटो ने कहा, 'मेरे भी दो छोटे बच्चे हैं. मैं उन्हें स्कूल भेजूंगा लेकिन पेरेंट्स के रूप में हम सभी चिंतित हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप बिल्कुल भी परेशान ना हों, लेकिन कोविड से पहले भी स्कूलों में कई श्वसन संक्रमण होते थे और पेरेंट्स को भी पता है कि साल में दो या तीन बार बच्चों को ये इंफेक्शन होता है. दुनिया भर में हमने देखा है कि बच्चों में होने वाला कोविड श्वसन संक्रमण से अलग नहीं है जो कि कोविड से पहले बच्चों में होता था. इसलिए, सावधानी बरतें और अपने बच्चे को हर समय मास्क पहनना सिखाएं. देखें कि बंद जगहों पर स्कूलों को कैसे चलाया जा रहा है. किसी बच्चे के संक्रमित होने की स्थिति में स्कूल क्या कहता है, उसका पालन करें. कुल मिलाकर स्कूल खोलना ना केवल बच्चों के लिए बल्कि देश के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है.
 

 

 

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