
कई लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं तो कई लोग देर तक सोते हैं. वहीं कुछ लोगों को रात के 9 बजते ही नींद आने लगती है तो कुछ लोगों को देर रात भी नींद नहीं आती. क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग सुबह रोजाना नियम से उठ जाते हैं और समय पर सो जाते हैं तो वहीं कुछ लोगों नहीं उठ पाते? दरअसल, इन सबके पीछे आपके शरीर में एक नेचुरल घड़ी होती है जो रोशनी, तापमान और आपकी दिनचर्या-एक्टिविटीज के आधार पर आपकी सोना, जागना, सुस्ती लाना और एनर्जी देना तय करती है. इस नेचुरल घड़ी को सर्कैडियन रिदम कहते हैं. सर्कैडियन रिदम क्या है और कैसे काम करता है इस बारे में जान लीजिए.
सर्कैडियन रिदम क्या है?
सर्कैडियन रिदम आपके शरीर की एक नेचुरल घड़ी है जो आपके शरीर के 24 घंटे डिसाइड करती है कि कब आपको कैसा महसूस होगा. यह रिदम आपके शरीर को बताती है कि कब सोना है और कब जागना है. आपके हार्मोन , पाचन और शरीर के तापमान जैसी कई अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करती है लेकिन लाइफस्टाइल की आदतें जब इस रिदम को बिगाड़ देती हैं तो आपके जागने-सोने का समय गड़बढ़ हो जाता है.
सर्कैडियन रिदम कैसे काम करता है?

आपका शरीर आपके मस्तिष्क के द्वारा सर्कैडियन रिदम को फॉलो करता है. हमारे दिमाग के हाइपोथैलेमस में मौजूद Suprachiasmatic Nucleus (SCN) नाम का एक छोटा सा हिस्सा होता है यह सर्केडियम रिदम का कंट्रोल सेंटर होता है. यह हमेशा रोशनी को ही सिग्नल मानता है और उस प्रकार से रिएक्ट करता है. जब सुबह की रोशनी आंखों में पड़ती है तो SCN शरीर को जगाने का संदेश भेजता है और मेलाटोनिन (नींद लाने वाला हार्मोन) कम होने लगता है और शरीर एक्टिव हो जाता है.
उदाहरण के लिए, जब रोशनी आपकी आंखों में जाती है तो कोशिकाएं आपके मस्तिष्क को संदेश भेजती हैं कि वह मेलाटोनिन (एक हार्मोन जो आपको सोने में मदद करता है ) का उत्पादन बंद कर दे ताकि आप जाग सकें. वहीं जब अंधेरा हो जाता है तो दिमाग को सिग्नल पहुंचता है कि मेलाटोनिन को रिलीज करने लगे ताकि नींद आने लगे.
सही सर्केडियन रिदम का समय?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, वयस्कों को नींद आने में देरी हो सकती है क्योंकि आजकल के युवाओं की सर्केडियम रिदम बिगड़ी हुई है. जब वे छोटे थे तो वे रात में 8-9 बदे सो जाते थे लेकिन आज के समय में हो सकता है कि उनका मेलाटोनिन स्तलेवल रात 10:00 या 11:00 बजे के बाद ही बढ़े. और क्योंकि वे देर से सोने जा रहे हैं इसलिए उन्हें सुबह देर तक सोना होगा. युवाओं को अभी भी रात में 9 से 10 घंटे की नींद की जरूरत होती है.
अगर वृद्धों की बात करें तो 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग अपनी सर्कैडियन लय में बदलाव महसूस कर सकते हैं. आप जल्दी सो भी सकते हैं और जल्दी उठ भी सकते हैं। यह उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा है.
सर्केडियन रिदम को कौन सी चीजें प्रभावित करती हैं?
उजाला और अंधेरा, सर्केडियन रिदम को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं. लेकिन इसके अलावा भी कई चीजें हैं जो आपको जागने और सोने के चक्र पर नेगेटिव प्रभाव डालती हैं.
सभी को सर्कैडियन रिदम को सही रखनी जरूरी है और अगर कोई ऐसा नहीं कर पाता तो उसे कई समस्याएं हो सकती हैं. जैसे, घाव भरने में देरी. हार्मोन में परिवर्तन, डाइजेशन संबंधी समस्याएं, शरीर के तापमान में उतार-चढ़ाव, एनर्जी की कमी, मेमोरी लॉस आदि.
सर्कैडियन रिदम को सही कैसे करें?
सर्कैडियन रिदम को सही करने के लिए आपको 24 घंटे नियम के साथ चलना होगा. जैसे अलर्टनेस को बढ़ाने के लिए देर तक सुबह सोने की बजाय जैसे ही उजाला हो जाए आप उठ जाएं और बाहर रोशनी में घूमें. इसके बाद फिजिकल एक्टिविटी करें. पूरी दिनचर्या के बाद रूम का तापमान सामान्य रखें और समय से सोने चले जाएं. ऐसा करने से जल्दी सोने से आपकी सुबह जल्दी नींद खुलेगी.
ध्यान रखें कि कैफीन, निकोटीन और शराब के सेवन से बचें. सोने के 2 घंटे पहले ब्लू लाइट से दूर रहें और चाहें तो किताब पढ़ सकते हैं या मेडिटेशन कर सकते हैं. दोपहर या शाम को ना साएं.