70 की उम्र के बाद लोगों को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. इस उम्र में आते-आते लोगों के शरीर में ताकत की कमी होने लगती है. 70 की उम्र के बाद हड्डियों में दर्द, पाचन शक्ति धीमी हो जाती है. वही शरीर जो 25-30 की उम्र में किसी सुपर हीरो की तरह हर एक चीज को हजम कर लेता था. अब छोटी-छोटी चीजें भी उसके लिए मुश्किल बन जाती है. रात को नींद नहीं आती. सुबह में मन भारी रहता है.
डॉक्टर के पास जाने पर ढेरों सारी दवाएं दी जाती हैं. बुढ़ापे की सेहत सिर्फ उम्र का नतीजा नहीं होती, बल्कि हमारी भोजन शैली और जीवन का भी बड़ा प्रभाव होता है. डाइजेस्टिव फायर का हमारे शरीर पर काफी असर पड़ता है. पाचन अग्नि वह शक्ति है जो खाने को हजम कर एनर्जी में बदलती है. युवा अवस्था में यह डाइजेस्टिव फायर तेज होती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ कमजोर हो जाती है.
अगर हम अपनी खानपान की आदतें सुधारें तो डाइजेस्टिव फायर को फिर से मजबूत किया जा सकता है, जिससे शरीर हेल्दी बना रहता है.
सादा और सात्विक खाना खाएं- बुजुर्गों को घर का बना हल्का, सादा और पौष्टिक खाना खाना चाहिए जैसे खिचड़ी, मूंग दाल, हल्दी और अदरक . ये फूड्स पाचन अग्नि को मजबूत करते हैं और शरीर को साफ-सुथरा रखते हैं. फैंसी और भारी भोजन से परहेज करना चाहिए क्योंकि वे पाचन शक्ति को कमजोर करते हैं.
हड्डियों को मजबूत बनाना- 40 वर्ष के बाद कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. इसके लिए तिल, सत्तू और मूंगफली का सेवन लाभकारी बताया गया है. तिल में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है, सत्तू एनर्जी प्रदान करता है, और मूंगफली प्रोटीन और हेल्दी फैट का स्रोस है. इन चीजों को रेगुलर खाने से बुजुर्गों की हड्डियां मजबूती पाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा कम होता है.
कलरफुल चीजों को करें डाइट में शामिल- भोजन में नेचुरल कलर के फल और सब्जियां शामिल करनी चाहिए जैसे लाल, हरा, पीला, नारंगी और बैंगनी. इससे खाना पौष्टिकता से भरपूर बन जाता है और सेहत बढ़ती है. वहीं सफेद रंग के नमक, चीनी और सफेद चावल से बचाव चाहिए.
सूरज ढलने से पहले खाना खाएं- खाने का समय सूरज की रिदम के अनुसार तय करना जरूरी है. शाम 6-7 बजे तक डिनर कर लेना चाहिए क्योंकि इसके बाद पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. समय पर हल्का भोजन करने से पाचन बेहतर होता है, नींद अच्छी आती है और सुबह ताजगी महसूस होती है.
खाने के प्रति पॉजिटिव सोच और मात्रा का नियंत्रण- खाने के प्रति निगेटिव सोच से खराब एनर्जी पैदा होती है जो हेल्थ खराब कर सकती है. इसलिए खाने को प्यार से देखना और खाने की मात्रा जरूरत से थोड़ी कम रखना चाहिए (80 प्रतिशत तक). जरूरत से ज्यादा खाने से शरीर धीमा और कमजोर हो जाता है.