केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नितिन गडकरी और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. चुनाव याचिका में नितिन गडकरी पर लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय संपत्ति और आमदनी से संबंधित जानकारी छिपाने का आरोप लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ दायर चुनाव याचिका की अपील में से आदर्श आचार संहिता से संबंधित कुछ हिस्सा हटा दिया गया था. कोर्ट ने गडकरी और निर्वाचन आयोग सहित सभी संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी किया है.
हाई कोर्ट ने प्रेयर पार्ट से कुछ हिस्सा सुनवाई से हटा दिया
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने कहा कि हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका को मंजूर तो किया लेकिन समग्र रूप से नहीं. कोर्ट ने याचिका के प्रेयर पार्ट में से कुछ हिस्सा सुनवाई से हटा दिया. आचार संहिता के नियम 16 के तहत अनिवार्य जानकारी देने में भी कोताही बरती गई है.
आरोप है कि गडकरी ने कृषि कार्य से संबंधित आमदनी, अचल संपदा यानी भूखंड और भवन जिनका जिक्र गडकरी ने अपने नामांकन के समय दिए गए शपथ पत्र में नहीं किया था. हाईकोर्ट ने इसे सुनवाई से हटा दिया है. इसे ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है .
नागपुर के शख्स ने दाखिल की है याचिका
नागपुर निर्वाचन क्षेत्र के निवासी नफीस खान ने अपनी चुनाव याचिका में कहा है कि नितिन गडकरी ने अपने चुनावी हलफनामे में यह खुलासा किया कि उनकी निजी क्षमता में कोई जमीन नहीं है. इसके अलावा, उनकी आय का स्रोत कृषि के माध्यम से होना दिखाया गया था.
याचिकाकर्ता के अनुसार यह आम चुनाव में केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तुत सूचना गलत थी. इसलिए, गडकरी के चुनाव को जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत शून्य घोषित कर दिया जाए.