scorecardresearch
 

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मामले में अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर फैसला सुरक्षित

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से पक्षकार बनाए जाने संबंधी प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने 8 मार्च तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.

Advertisement
X
विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद केस में पक्षकार बनने को अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया था प्रार्थना पत्र
विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद केस में पक्षकार बनने को अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया था प्रार्थना पत्र
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पार्टी बनाने के लिए दिया था प्रार्थना पत्र
  • मंदिर और मस्जिद पक्ष ने किया विरोध

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में पक्षकार बनाए जाने को लेकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से पक्षकार बनाए जाने संबंधी प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने 8 मार्च तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले की सुनवाई कर रहा कोर्ट 8 मार्च को अपना फैसला सुनाएगा. दिलचस्प यह है कि न केवल मंदिर पक्ष, बल्कि मस्जिद पक्ष ने भी अविमुक्तेश्वरानंद को नया पक्षकार बनाए जाने को लेकर मौखिक और लिखित में अपनी आपत्ति दर्ज करा दी. ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी मुद्दे पर मंदिर और मस्जिद, दोनों ही पक्ष एकमत हुए हों.

मंदिर और मस्जिद, दोनों ही पक्षों ने किया विरोध
मंदिर और मस्जिद, दोनों ही पक्षों ने किया विरोध

गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में 4 फरवरी को तब नया मोड़ आ गया था, जब सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में नए पक्षकार बनने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रार्थनापत्र दिया था. कोर्ट ने इसपर वादी मंदिर और प्रतिवादी मस्जिद पक्ष के वकीलों की आपत्तियां मांगी थी. दोनों ने ही नए पक्षकार के खिलाफ अगली तारीख पर न केवल आपत्ति दर्ज कराई, बल्कि जोरदार बहस भी किया. अभी बीते दो दिन से गर्मागर्म बहस के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है, जो अब 8 मार्च को सुनाया जाएगा.

Advertisement

इस बारे में काशीविश्वनाथ मंदिर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू विशेश्वर और अन्य बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कहीं से भी संबंधित नहीं रहे. साल 1991 से लेकर आज 30 साल की अवधि बीत गई, इन्होंने कभी भी इस केस के प्रति अपनी जिज्ञासा प्रकट नहीं की. उन्होंने कहा कि जब इस केस की ख्याति सामने आने लगी तो खुद को मीडिया में लाने के लिए पार्टी बनने का प्रार्थना पत्र कोर्ट में दे दिया और वादमित्र बनने की इच्छा जाहिर की.

रस्तोगी ने आरोप लगाया कि यह प्रार्थना पत्र दूषित मानसिकता से हिंदुओं के विरोध में दाखिल किया गया है. उन्होंने आगे बताया कि इस पर मेरे अलावा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से भी आपत्ति दर्ज कराई गई. मस्जिद की ओर से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से पार्टी बनने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दर्ज कराई और कोर्ट में कहा गया है कि इनका पार्टी बनने का प्रार्थना पत्र राजनीतिक और लोकप्रियता हासिल करने के मकसद से दायर किया गया है. यह निरस्त किया जाना चाहिए.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement