काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एक नया मोड़ आज तब आ गया, जब वादी मंदिर और प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने एक मसले पर एक ही मत जाहिर किया. मसला ये है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य और प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कोर्ट में नया पक्षकार बनने के लिए एक प्रार्थनापत्र दाखिल किया, जिस पर मंदिर और मस्जिद दोनों ही पक्षों ने समान रूप से आपत्ति जताई है. फ़िलहाल वादी मंदिर और प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने बहस के दौरान मौखिकआपत्ति दर्ज करा दी है. जिसके बाद कोर्ट ने 11 फरवरी की अगली तारीख नियत करते हुए लिखित आपत्ति मांगी है.
ऐसा पहली बार हुआ है कि 1991 से चल रहे वाराणसी कचहरी में काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंदिर और मस्जिद पक्ष एकमत हुआ है. दरअसल वाराणसी के सिविल जज सिनीयर डिविजन फास्ट ट्रेक कोर्ट की अदालत में पिछली तारीख पर ही शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने नया पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने वादी मंदिर और प्रतिवादी मस्जिद पक्ष की मौखिक आपत्तियों को सुना, जिसके बाद कोर्ट ने 11 फरवरी की अगली तारीख नियत करते हुए लिखित आपत्तियां मांगी हैं.
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इस बारे में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ के वकील तौहिद खान ने बताया कि कोर्ट में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पार्टी बनने का प्रार्थना पत्र दिया था. उन्होंने बताया कि उनकी ओर से आपत्ति पत्र दाखिल किया जायेगा, क्योंकि जिस आधार पर स्वामी जी पार्टी बनना चाह रहें हैं, वह आधार पहले से ही मौजूद है. इसलिए नया द्वंद पैदा करने की कोशिश की जा रही है. जिसके खिलाफ आपत्ति दाखिल होगी.
वहीं इस मामले में काशी विश्वनाथ मंदिर के वादमित्र वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की ओर से इस आधार पर पार्टी बनने की प्रार्थना कोर्ट में की गई है क्योंकि उनके पास कई ग्रंथ, पुराण, पांडुलिपियां और साक्ष्य हैं, जो कोर्ट में प्रस्तुत करना चाहते हैं और रामजन्म भूमि के केस में भी उन्होंने साक्ष्य दिया था.
काशी विश्वनाथ मंदिर के वादमित्र वकील विजय शंकर रस्तोगी ने आगे कहा कि ''विश्वनाथ मंदिर का वादमित्र मुझे बनाया गया है और किसी अन्य को वादमित्र बनने का अधिकार नहीं है. इसलिए उनके वादमित्र बनने की प्रार्थना पर आपत्ति की गई कि एक वादमित्र के रहते दूसरा कैसे हो सकता है? अभी मौखिक आपत्ति पेश की गई है, फिर कोर्ट ने लिखित आपत्ति के लिए 11 फरवरी तक की तिथि नियत की और फिर इसी पर उस दिन बहस होगी.''