उत्तर प्रदेश पुलिस इन दिनों कर्मचारियों (पुलिसकर्मियों) की भारी किल्लत से जूझ रही है. जानकार मानते हैं कि सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की लगातार बिगड़ती हालत के पीछे पुलिस बल की कमी भी एक मुख्य कारण है.
उत्तर प्रदेश में नागरिक पुलिस की कुल तादाद 2.95 लाख होनी चाहिए, लेकिन वास्तविक सेवारत पुलिसकर्मियों की कुल संख्या 1.45 लाख के आस-पास है. इसका मतलब समग्र रूप से करीब 50 फीसदी पुलिस बल की कमी है. ये आंकड़े उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हाल में तैयार की गई विस्तृत आंतरिक रिपोर्ट में सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा कमी हेडकांस्टेबल के स्तर पर है जो करीब 65 फीसदी है. कांस्टेबलों की कमी की बात की जाय तो वो करीब 45 फीसदी, निरीक्षकों और उप-निरीक्षकों की कमी क्रमश: 50 और 55 प्रतिशत है.
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अरुण कुमार ज्यादा कुछ कहने से बचते हुए इतना जरूर मानते हैं कि पुलिस बल की इतनी भारी कमी से निश्चित रूप से सेवारत पुलिसकर्मियों पर अधिक भार पड़ने के साथ कानून एवं व्यवस्था की स्थिति प्रभावित होती है.
पुलिस विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों का प्रति लाख जनसंख्या पर औसत केवल 74 है, जो देश में केवल बिहार (प्रति लाख जनसंख्या पर 63 पुलिसकर्मी) से बेहतर है. राष्ट्रीय औसत की बात की जाए तो देश में प्रति लाख जनसंख्या पर पुलिस का औसत 130 है, जो पाकिस्तान 207 से भी कम है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीते बजट सत्र के दौरान हालांकि कहा कि राज्य सरकार पुलिस कर्मियों की कमी दूर करने के लिए 2,200 कम्प्यूटर ऑपरेटर, चार हजार उप-निरीक्षक और 24 हजार कांस्टेबलों की भर्ती करेगी. अगर आने वाले कुछ वक्त में इन पुलिसकर्मियों की भर्तियां हो भी जाती हैं तब भी पुलिस बल की किल्लत शायद ही कम होगी.
राज्य के एक पूर्व पुलिस महानिदेशक ने नाम से सार्वजनिक होने की शर्त पर कहा कि सूबे में पुलिस बल की इतनी भारी कमी होने के बावजूद पुलिस बल के एक बड़े हिस्से का प्रयोग वीआईपी ड्यूटी में किया जाता है. उन्होंने कहा कि हर वीआईपी खासकर राजनेता चाहते हैं कि वे चारों तरफ से पुलिसकर्मियों से घिरे रहें.
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक आस आर दारापुरी कहते हैं कि एक तो पुलिसबल की कमी और एक बड़े हिस्से की तैनाती वीआईपी ड्यूटी में रहने से राज्य में कानून-व्यवस्था प्रभावित हो रही है, क्योंकि पुलिस का मुख्य जिम्मा अपराध को रोकना और कानून-व्यवस्था को बनाए रखना होता है. उन्होंने कहा कि वीआईपी सुरक्षा में तैनात पुलिस बल को न्यूनतम कर दिया जाए तो कुछ हद तक कानून व्यवस्था के नियंत्रण में सफलता पाई जा सकती है.
राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक क़े एल गुप्ता कहते हैं कि कानून-व्यवस्था एक बड़ी समस्या होने के बावजूद सूबे में पुलिस बल की ये कमी काफी लंबे वक्त से चली आ रही है. सत्ता में आने वाली सरकारों को पुलिस बल की कमी को पूरा करने में जितनी गंभीरता दिखानी चाहिए थी, निश्चित रूप से उतनी नहीं दिखाई गई.