scorecardresearch
 

एक ASP के निलंबन ने खोल दिए UP पुलिस के कई पोल, जानिए Inside Story

बलिया के एएसपी विजय त्रिपाठी के निलंबन की कहानी इतनी सीधी और सपाट नहीं है जितनी बताई जा रही है. बलिया में पीपीएस अफसर के इस सस्पेंशन के पीछे वसूली का खेल और इस वसूली के खेल की शिकायत बड़ी वजह बताई जा रही है.

Advertisement
X
बलिया पुलिस
बलिया पुलिस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गोपनीय जांच के बाद ASP सस्पेंड
  • असली कहानी अवैध वसूली की

बलिया जिले में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक को उत्तर प्रदेश शासन ने एक जालसाज को इंटीलिजेंस का बड़ा अफसर बताने के चलते सस्पेंड कर दिया, लेकिन कहानी इतनी सीधी और सपाट नहीं है जितनी बताई जा रही है. बलिया में पीपीएस अफसर के इस सस्पेंशन के पीछे वसूली का खेल और इस वसूली के खेल की शिकायत बड़ी वजह बताई जा रही है.

बलिया में जो हुआ उसने महोबा खनन वसूली केस की याद दिलाई

महोबा में खनन कारोबारी इंद्र कांत त्रिपाठी से वसूली के खेल ने उत्तर प्रदेश पुलिस के माथे पर जो कलंक लगाया, उसे आज तक धोया नहीं जा सका. बताया जा रहा है कि बलिया में भी पुलिस में वसूली को लेकर ही अफसरों के बीच झगड़ा चल रहा है. बलिया के एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी वाराणसी के दवा व्यापारी विकास कुमार सिंह को इंटीलिजेंस अफसर बताकर लोगों से मिलाते थे और गोपनीय जांच के अनुसार, विकास जिले में कई लोगों से काम करवाने के नाम पर पैसे वसूल रहा था.

पहले समझ लीजिए यह विकास सिंह है कौन?

विकास सिंह बलिया के बैरिया थाना क्षेत्र के चकिया गांव का रहने वाला है. पेशे से विकास सिंह दवा कारोबारी है. वाराणसी के दुर्गाकुंड इलाके में उसके दवा की फर्म है. चकिया में विकास सिंह की पुश्तैनी जमीन जायदाद है, जिसकी देखरेख के लिए वह बलिया आता रहता है. बड़ी-बड़ी गाड़ियों से चलने वाला विकास सिंह अफसरों के किचन केबिनेट का हिस्सा रहा है. जिले के कई थानेदार से लेकर अफसर तक विकास सिंह के दोस्त माने जाते हैं.

Advertisement

तीन पेज के शिकायती पत्र से शुरू हुआ बवाल

अब बात उस गोपनीय पत्र की जिसमें बलिया जिले में हो रही पुलिस की अवैध वसूली की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई. 
दरअसल अप्रैल महीने की 8 और 18 तारीख को दो पत्र मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी, चीफ सेक्रेटरी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और वाराणसी जोन के एडीजी को भेजे गए. शिकायती पत्र को बलिया की पुलिस कर्मियों की तरफ से भेजा गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि बिहार के बक्सर और छपरा बॉर्डर पर अवैध शराब और अवैध खनन से वसूली हो रही है.

तीन पेज के शिकायती पत्र में एसएचओ बेरिया पर वसूली के गंभीर आरोप लगे. रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए पत्र के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि पत्र वाराणसी के आरएमएस पोस्ट ऑफिस से भेजा गया था. सिगरा थाने के पुलिसकर्मियों की मदद से आरएमएस में लगे सीसीटीवी को खंगाला गया तो विकास सिंह की दुकान पर पेंटर का काम करने वाला संतोष सिंह नजर आया.

सिगरा पुलिस ने संतोष सिंह से पूछताछ की तो पता चला पत्र को रजिस्ट्री करने के लिए विकास सिंह ने कहा था और उसी ने वह लिफाफा बंद करके दिया था. मुख्यमंत्री से बलिया जिले में पुलिस के अवैध खनन की शिकायत करने वाला यह वही विकास सिंह है जिसको एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी का करीबी बताया गया और विजय त्रिपाठी उसे इंटीलिजेंस का अफसर बताकर लोगों से मिलवाते थे.

Advertisement

कुर्सी बचाने के लिए पुलिस कर्मियों की प्लानिंग का हिस्सा? 

जैसे ही मुख्यमंत्री से की गई शिकायत पर शासन से पूछताछ और तहकीकात की जाने लगी, तभी बलिया के कोतवाली थाने में 21 मई को गाजीपुर के रहने वाले हरि प्रकाश सिंह की तरफ से विकास सिंह पर एक लाख लेकर नौकरी दिलाने के नाम पर किए गए धोखे की एफआईआर दर्ज करवाई गई और 3 दिन बाद 24 मई को विकास सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

वसूली की कमाई को लेकर अफसरों के बीच तलवारे खींची?

मिली जानकारी के अनुसार, बलिया में लंबे समय से खनन के कारोबार में होने वाली वसूली की कमाई को लेकर अफसरों के बीच तलवारे खींची थी. जिस एसओ बेरिया ने विकास सिंह को एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी का करीबी बताकर इंटेलिजेंस अफसर होने की पुष्टि की थी उसी SHO बैरिया को मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में अवैध खनन का सबसे बड़ा सरगना बताया गया.

इस संबंध में बलिया के एसपी राजकरण नैयर से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि सोशल मीडिया के जरिए शिकायती पत्र मिला है लेकिन बुक किसकी तरफ से भेजा गया है यह कहा नहीं जा सकता, विकास सिंह को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोप में जेल भेजा गया है, उसके पास से कंप्यूटर से तैयार की गई फोटो मिली है, शातिर दिमाग के विकास सिंह ने अपने मोबाइल से भी डाटा को डिलीट किया है जिसको रिकवर करने के लिए मोबाइल फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement