आंध्र प्रदेश में राजनीतिक हड़कंप उस वक्त मच गया जब तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के चार राज्यसभा सांसदों ने बीजेपी का हाथ थाम लिया. टीडीपी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले राज्यसभा सांसद में सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी का नाम शामिल है.
राज्यसभा सांसद वाई.एस चौधरी ने कहा कि सीबीआई और ईडी जिन केस की जांच कर रही है वह थर्ड पार्टी से संबंधित हैं. यह मेरे ऊपर सीधे केस नहीं हैं. मैंने किसी प्रकार का फ्रॉड, जालसाजी या ठगी नहीं की. बस जांच चल रही है, इसका ये मतलब नहीं है कि मैंने कुछ गलत किया है.
चौधरी ने कहा कि मैंने बीजेपी किसी दबाव में जॉइन नहीं की है. मैंने स्वेच्छा से बीजेपी में आने का फैसला किया है. अगर मेरे खिलाफ लगे आरोप साबित होते हैं और बीजेपी मेरी जॉइनिंग को अयोग्य करार देती है तो मैं इसका स्वागत करूंगा.
इसके बाद बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी नड्डा ने कहा कि सभी सांसद प्रधानमंत्री मोदी के बीजेपी के नेतृत्व और संगठनात्मक कार्य से प्रभावित थे. इन्होंने आंध्र प्रदेश के विकास के लिए बीजेपी जॉइन की है. अमित शाह ने इनका अनुरोध स्वीकार कर लिया है. हम इसके बाद उपराष्ट्रपति के पास गए और उनके निर्णय से उपराष्ट्रपति अवगत कराया. बीजेपी समावेशिता में विश्वास करती है. वे सभी जमीनी नेता हैं. आंध्र में बीजेपी मजबूत होगी.
विपक्ष कमजोर, बीजेपी मजबूत-
टीडीपी के पास राज्यसभा में फिलहाल 6 सांसद हैं लेकिन उसके 4 सांसदों ने बीजेपी का हाथ थाम लिया है. इससे विपक्षी दल टीडीपी सिर्फ 2 सांसदों की पार्टी रह गई है जबकि बीजेपी के सांसद 71 से बढ़कर 75 पहुंच गए हैं. टीडीपी के सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी बीजेपी में शामिल हो रहे हैं और 6 में 4 सांसदों के टूटने पर दल-बदलू कानून भी लागू नहीं रहेगा, जिससे इन सांसदों की सदस्यता बरकरार रहेगी.