महराजगंज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के पंकज चौधरी को 726349 वोट मिले. वहीं, समाजवादी पार्टी के अखिलेश को 385925 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे. इस सीट पर सातवें चरण में वोटिंग हुई थी. इस बार यहां 64.68 फीसदी मतदाताओं ने वोटिंग की थी. यहां से कुल 14 उम्मीदवार मैदान में थे. 6 उम्मीदवार तो बतौर निर्दलीय मैदान में थे.

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2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था, जिसमें बीजेपी को उत्तर प्रदेश में बंपर कामयाबी मिली थी. महराजगंज लोकसभा सीट पर 23 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के पंकज चौधरी और बसपा के काशीनाथ शुक्ला के बीच रहा. पंकज चौधरी को कुल मिले मत में 44.65 फीसदी यानी 4,71,542 वोट हासिल हुए तो बसपा के काशीनाथ को 2,31,084 मत (21.88 फीसदी) मिले. इस तरह से पंकज ने यह चुनावी जंग 2,40,458 मतों के अंतर से जीत हासिल की. तीसरे स्थान पर सपा के अखिलेश रहे. कांग्रेस के हर्षवर्धन चौथे स्थान पर रहे.
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पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों में शामिल महराजगंज एक संसदीय क्षेत्र है. महराजगंज का संसदीय इतिहास बेहद शानदार रहा है और इस सीट पर संसद में पहुंचने की शुरुआत देश के महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता शिब्बन लाल सक्सेना ने की. वह संविधान सभा के सदस्य भी रहे. उन्हें 'महराजंगज के मसीहा' के रूप में जाना जाता है.
महराजगंज संसदीय सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र (फरेंदा, नौतनवां, सिसवा, महराजगंज और पनियरा) आते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम देखें तो इन 5 विधानसभा सीटों पर 4 में बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. 4 में से 3 पर बीजेपी की जीत का अंतर 67 हजार से ज्यादा है.
महराजगंज जिले की आबादी 26.8 लाख है और यह प्रदेश का 34वां सबसे घनी आबादी वाला जिला है. यहां पर कुल आबादी में 13.8 लाख (51 फीसदी) पुरुष और 13 लाख (49 फीसदी) महिलाएं हैं. जातिगत आधार पर देखा जाए तो यहां पर सामान्य वर्ग की 81 फीसदी आबादी रहती है तो 18 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 1 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है.
धर्म के आधार पर देखा जाए तो यहां पर 81.8 फीसदी आबादी हिंदुओं की है, जबकि 17.1 फीसदी आबादी मुस्लिमों की रहती है. लिंगानुपात के मामले में यहां की स्थिति संतोषजनक नहीं है. जिले में प्रति हजार पुरुषों पर 943 महिलाएं हैं. साक्षरता के मामले में यह जिला काफी पीछे है. यहां की करीब 63 फीसदी आबादी साक्षर है जिसमें 76 फीसदी पुरुष और 49 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं.
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