जम्मू में वैष्णव देवी, गुवाहाटी में कामख्या या हरिद्वार में मनसा देवी लगभग सभी माताओं के मंदिर पहाड़ों पर होते हैं. यहां तक की मां दुर्गा का एक नाम पहाड़ोंवाली भी है. आखिर क्या कारण है कि अधिकतर मां का दरबार पहाड़ों पर है.
दरअसल हमारे वेद-पुराणों में पंच-तत्व के महत्व को बताया गया है. सृष्टि की रचना पंचतत्वों से हुई है तो इंसान के शरीर भी इन्हीं पंचतत्वों से बने हुए हैं. ये पंच तत्व हैं जल, वायु, अग्नि, भूमि और व्योम अर्थात आकाश. इन पांचों तत्वों के अधिपति एक-एक देवता भी हैं. जल के अधिपति गणेश हैं तो वायु के विष्णु. भूमि के शंकर हैं तो अग्नि के अग्निदेवता. वहीं व्योम के देवता हैं सूर्य.
शक्ति यानी दुर्गा को संपूर्ण धरती की अधिष्ठात्री माना गया है. साथ ही वे शक्ति का प्रतीक हैं. जानकारों की मानें तो पहाड़ों को धरती का मुकुट और सिंहासन माना जाता है. मां इस संपूर्ण सृष्टि की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए वे सिंहासन पर विराजती हैं.
यही एक कारण है कि लगभग सभी महत्वपूर्ण और प्राचीन देवी मंदिर पहाड़ों पर ही स्थित हैं.