याचिका में कहा गया है कि जूम ऐप के जरिए लोगों का डेटा लीक होने और साइबर अपराधों में इस्तेमाल होने का खतरा बना रहता है. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार से ऐसे मामलों की जांच के लिए कहे. याचिका में ऐप पर बैन लगाने की भी मांग की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत में अब तक डेटा प्राइवेसी से संबंधित कोई कानून नहीं है.
लॉकडाउन के चलते दफ्तरों से लेकर स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं. ऐसे में ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का चलन बढ़ा है. लोग ग्रुप कॉल के लिए जूम ऐप का इस्तेमाल बड़ी संख्या में कर रहे हैं. ऐसे में अगर डेटा लीक का खतरा बनता है तो बहुत से लोगों का डेटा चोरी हो सकता है. याचिका में इस ऐप पर रोक लगाने की मांग की गई है.
जूम ऐप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, बैन करने की मांग
जूम ऐप पर एक साथ जुड़ सकते हैं 100 लोग
जूम ऐप दूसरे मोबाइल ऐप की तुलना में ज्यादा संख्या में लोगों को एक साथ कनेक्ट करता है. जूम ऐप के साथ करीब 100 लोग जुड़ सकते हैं. जब जूम ऐप के यूजर बढ़े तो लोग प्राइवेसी को लेकर भी चिंतित होने लगे. यूजर्स के प्राइवेसी को लेकर सवाल खड़े किए जाने लगे.
यह भी पढ़ें: Zoom के बढ़ते कारोबार में अब मिलेगा Oracle के सर्वर का सहारा, हुई डील
ब्लीडिंग कंप्यूटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 5 लाख से ज्यादा जूम अकाउंट का सौदा डार्क वेब के साथ किया जा रहा है. यूजर्स का यूजरनेम, पासवर्ड और फीड की गई जानकारियों को ट्रांसफर कर दिया जा रहा है. इसके बाद ही लगातार डेटा सुरक्षा को लेकर जूम ऐप सवालों के घेरे में आ गया. सुप्रीम कोर्ट में अब केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखना होगा.