'भारत रत्न' सितार वादक पंडित रविशंकर अपनी पत्नी अन्नपूर्णा देवी से जलते थे क्योंकि वह 'उनसे भी अच्छा' सितार और सुरबहार बजाती थीं. लेकिन अपनी शादी बचाने के लिए अन्नपूर्णा देवी को अपने हुनर का गला घोंटना पड़ा. यह खुलासा खुद अन्नपूर्णा देवी ने किया है.
सिर्फ किस्मत वालों को अन्नपूर्णा देवी के सितार को सुनने का मौका मिला है. उन्होंने आखिरकार चुप्पी तोड़ी है और बताया है अपनी शादी बचाने के लिए ही उन्होंने अपना चमकदार करियर खत्म कर दिया और गुमनामी के अंधेरे में खो गईं.
अन्नपूर्णा देवी ने अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' को दिए इंटरव्यू में यह दावा किया है. उन्होंने बताया, '1950 के दशक में हम दोनों जब भी किसी शो में एक साथ कार्यक्रम पेश करते तो लोगों के साथ-साथ समीक्षक भी मेरी ज्यादा तारीफ करते. पंडितजी को यह अच्छा नहीं लगता था.'
शादी और करियर में से एक को चुनना पड़ा
उन्होंने बताया कि उनकी वैवाहिक जिंदगी पर इसका नकारात्मक असर पड़ने
लगा. अन्नपूर्णा के मुताबिक रविशंकर ने कभी उन्हें कार्यक्रम पेश करने से रोका
तो नहीं, लेकिन वह दूसरे तरीकों से यह जता देते थे कि अपनी पत्नी को खुद
से ज्यादा तारीफ मिलने से वह खुश नहीं हैं.
अन्नपूर्णा ने बताया कि इसके बाद ऐसे हालात पैदा हो गए कि उन्हें अपनी वैवाहिक जिंदगी और करियर में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा और उन्होंने परिवार को चुन लिया. उन्होंने बताया कि वह बहुत कम बोलने वालों और परिवार को प्राथमिकता देने वालों में से थीं. उनके मुताबिक, उन्हें नाम कमाने से ज्यादा चिंता अपनी शादी को बचाने की थी.
उस्ताद अलाउद्दीन की बेटी हैं अन्नपूर्णा
हालांकि, उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद भी वह आखिरकार अपनी शादी को
बचा नहीं पाईं. उन्होंने बताया कि उनके पिता उस्ताद अलाउद्दीन खान नहीं
चाहते थे कि उन दोनों की शादी टूटे और इसी वजह से अन्नपूर्णा ने इसे बचाने
के लिए वह सब किया, जो उनके बस में था. उस्ताद अलाउद्दीन खान देश के
सबसे पुराने सितार वादकों में जाने जाते हैं और अन्नपूर्णा उनकी बेटी हैं. पंडित
रविशंकर ने भी अलाउद्दीन खान से ही ट्रेनिंग ली थी.
अन्नपूर्णा ने बताया कि पंडित रविशंकर के एक अन्य महिला के साथ भी संबंध थे. रविशंकर से अलगाव के बाद 1982 में अन्नपूर्णा ने अपने स्टूडेंट रूषिकुमार पांड्या से शादी कर ली थी, जिनका अप्रैल 2013 में निधन हो गया.