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20 साल बाद वर्सोवा बीच पर दिखी कछुओं की ये खास प्रजाति

महाराष्ट्र वन विभाग के मुताबिक दो दशकों के बाद अब फिर से वर्सोवा बीच 'ऑलिव रिडले' कछुओं के लिए मुफीद जगह बन गया है. हिंद और प्रशांत महासागर की गर्म और उष्णकटिबंधीय धाराओं में पाए जाने वाले इस प्रजाति के कछुए सबसे छोटे समुद्री कछुओं की श्रेणी में आते हैं.

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नन्हा ऑलिव रिडले कछुआ
नन्हा ऑलिव रिडले कछुआ

मुंबई के वर्सोवा बीच पर शुक्रवार सुबह एक खास प्रजाति के कछुए के टूटे अंडे देखे गए. स्थानीय लोगों और वन विभाग के अधिकारियों ने अंडे देखने के बाद ये पुष्टि कर दी कि ये टूटे अंडे 'ऑलिव रिडले' प्रजाति के कछुए के हैं.

महाराष्ट्र वन विभाग के मुताबिक दो दशकों के बाद अब फिर से वर्सोवा बीच 'ऑलिव रिडले' कछुओं के लिए मुफीद जगह बन गया है. हिंद और प्रशांत महासागर की गर्म और उष्णकटिबंधीय धाराओं में पाए जाने वाले इस प्रजाति के कछुए सबसे छोटे समुद्री कछुओं की श्रेणी में आते हैं.

गौरतलब है कि बीच के किनारे एक दिन पहले ही कछुओं के तकरीबन 80 टूटे अंडे देखे गए थे. हालांकि कुछ जीव संरक्षकों ने इसकी प्रमाणिकता पर शंका जाहिर की थी.  महाराष्ट्र वन विभाग ने इस पर सफाई दी कि, 'ये अच्छी खबर है, हमने इसकी जांच की है और पाया है कि अंडे कछुओं के ही हैं. इसकी प्रमाणिकता पर शंका का कोई सवाल ही नहीं उठता.'

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जानकारी के मुताबिक 103 छोटे कछुओं की गिनती हुई है. जिनमें से 80 संभवत: समुद्र में जा चुके हैं. 7 कछुओं को वन्य संरक्षक समूहों ने पकड़कर समुद्र में छोड़ दिया है और बाकी नन्हे कछुओं की अंडों के अंदर ही मौत हो चुकी है.

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