उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस, भाजपा सहित सभी दलों पर आरोप लगाया है कि सदियों से उपेक्षित अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की एक सोची समझी रणनीति के तहत जातीय जनगणना न कराकर अब तक उन्हें तमाम अधिकारों से वंचित रखा गया.
मायावती ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में अन्य पिछड़े वर्गों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए जाति के आधार पर जनगणना का अनुरोध किया है. उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि एक साजिश के तहत इनकी सही गणना न कराकर देश के बहुत बड़े समाज को विकास की मुख्य धारा से अलग रखा. इससे देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अपने संवैधानिक अधिकारो से वंचित रहा, जिसमें बड़ी संख्या में धार्मिक अल्पसंख्यक भी शामिल है.
मायावती ने कहा कि बसपा के सांसदों ने संसद में सबसे पहले जाति आधारित जनगणना का मुद्दा उठाया और अब अन्य पार्टियों में इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस व भाजपा सहित अन्य विपक्षी दल यदि पिछड़े वर्गो की हितैषी होती तो आजादी के बाद जितनी बार जनगणना हुई है, उसमें पिछड़ी जातियों की वास्तविक संख्या पता लगाने के लिए जातीय आधार पर जनगणना करने का फैसला लेती और इन आंकडों के आधार पर उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं लाती.
मायावती ने कहा कि आजादी के बाद केन्द्र की सत्ता में रही सरकारों ने अन्य पिछडे वर्गो को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने के लिए जाति के आधार पर जनगणना जानबूझ कर नहीं करायी ताकि ये लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरुक और संगठित न हो सकें. उन्होंने कहा कि चूंकि इन पिछडे वर्गो में धार्मिक अल्पसंख्यकों की एक बहुत बड़ी संख्या भी शामिल है, जिन्हें केन्द्र सत्ता में रही सरकारों ने हमेशा उपेक्षित किया और अपना राजनैतिक वर्चस्त बनाये रखने के लिए वोट बैंक के रुप में इस्तेमाल किया.
इसके कारण आजादी के 63 वर्ष के बाद भी पूरे देश मे अन्य पिछड़े वर्गो की शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे शुरू से ही अन्य पिछड़े वर्गो के प्रति संवेदनशील रही है और जब उन्हें पहली बार 1995 में सत्ता में आने का मौका मिला तो उन्होंने पिछड़े वर्गो के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए पिछडा वर्ग कल्याण विभाग का स्वतंत्र रुप से गठन किया.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इन वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की, जबकि पूर्व की सरकारों ने अन्य पिछडे वर्गों के कल्याण के लिए ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया.