कर्नाटक में लंबे समय से चला आ रहा सियासी घमासान आखिरकार थम गया है. नाटकीय तरीके से मुख्यमंत्री बने भारतीय जनता पार्टी के बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित कर दिया है. विश्वास मत पर जब सोमवार को सदन में बहस शुरू हुई, तो विपक्ष की कांग्रेस और जेडीएस ने मत विभाजन की मांग ही नहीं की और येदियुरप्पा शक्ति परीक्षण में पास हो गए.
सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पर जब चर्चा शुरू हुई तो बीएस येदियुरप्पा ने हर किसी को समर्थन करने की अपील की. हालांकि, मौजूदा संख्या के मद्देनज़र ये साफ था कि येदियुरप्पा के पास बहुमत है. क्योंकि विधानसभा की मौजूदा संख्या 207 है, जिसमें बहुमत के लिए 104 का नंबर चाहिए.
बीजेपी के पास अभी 105 विधायक हैं, इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक के समर्थन का दावा भी है. कांग्रेस और जेडीएस के पास कुल मिलाकर 99 विधायक ही हैं. अब जब येदियुरप्पा की सरकार बहुमत में पास हो गई है, तो आगे की कार्यवाही शुरू होगी. पहले फाइनेंस बिल आएगा और फिर स्पीकर के पद को लेकर चर्चा शुरू होगी.
सदन में बहस के दौरान एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि आप (BJP) अब लोग सरकार में हैं, इसलिए विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाना खत्म कीजिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार बढ़िया काम करती है तो वह सरकार को समर्थन करेंगे.
दूसरी ओर बीएस येदियुरप्पा ने अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार किसानों के लिए काम करेगी, साथ ही अन्य विकास कार्यों को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने विपक्ष को उनका समर्थन करने की अपील की.
हालांकि, कांग्रेस के सिद्धारमैया बीजेपी सरकार पर हमलावर रहे. उन्होंने कहा कि बीएस येदियुरप्पा कभी जनता के समर्थन के साथ सीएम नहीं बने. ना आपके पास 2008 में बहुमत था, ना 2018 में और ना ही अब. जब उन्होंने शपथ ली तो सदन में 222 विधायक थे, लेकिन BJP के पास 112 विधायक कहां हैं. उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री तो रहेंगे, लेकिन उसकी भी कोई गारंटी नहीं है. आप बागियों के साथ है, लेकिन क्या आप सरकार चला सकते हैं.