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जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 371 लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं: गृह मंत्रालय

जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 371 लगाए जाने से जुड़ी रिपोर्ट्स का गृह मंत्रालय ने खंडन कर इन्हें गलत करार दिया है. गृहमंत्रालय ने ऐसी खबरों को निराधार करार दिया है.

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गृहमंत्री अमित शाह (फाइल फोटो-PTI)
गृहमंत्री अमित शाह (फाइल फोटो-PTI)

  • अनुच्छेद 371 को केंद्र सरकार नहीं करेगी निरस्त
  • मीडिया रिपोर्ट्स को गृह मंत्रालय ने बताया गलत
  • कहा- ऐसी खबरें गलत और निराधार हैं

जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 371 लगाए जाने से जुड़ी रिपोर्ट्स का गृह मंत्रालय ने खंडन कर इन्हें गलत करार दिया है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कह रही हैं कि गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 371 को लागू करने का प्रस्ताव दिया है. ऐसी खबरें गलत और निराधार हैं.

दरअसल दावा किया जा रहा था कि जैसे केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए बने विशेष उपबंध अनुच्छेद 370 को एक झटके में खत्म कर दिया, वैसे ही अनुच्छेद 370 को हटा दिया जाएगा. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह कई बार ऐसे दावों को खारिज कर चुके हैं. लोकसभा में भी गृहमंत्री यह बोल चुके हैं कि इस अनुच्छेद को नहीं हटाया जाएगा.

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इससे पहले संसद में जब 370 पर बहस के दौरान छह अगस्त को अनुच्छेद 371 का भी मुद्दा उठा तो बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कई तर्क गिनाए थे कि क्यों सरकार इस अनुच्छेद को नहीं हटाना चाहती. अमित शाह ने एक तर्क दिया था कि 370 की तरह अनुच्छेद 371 राज्यों में अलगाववाद को बढ़ावा नहीं देता.

अमित शाह ने यह भी तर्क दिया था कि 371 ए के तहत नागालैंड के नागाओं की धार्मिक, सामाजिक प्रथाओं, भूमि और संसाधनों आदि के स्वामित्व के लिए वहां की असेंबली निर्णय करती है. यह अनुच्छेद देश की एकता और अखंडता की राह में बाधक नहीं है. अमित शाह के मुताबिक, 370 और 371 की तुलना करने का मतलब देश को गुमराह करना है.

क्या है अनुच्छेद 371?

पूर्वोत्तर सहित देश के करीब 11 राज्यों में अनुच्छेद 371 के विभिन्न प्रावधान लागू है.  इस अनुच्छेद की बदौलत केंद्र सरकार संबंधित राज्यों में विकास, सुरक्षा, सरंक्षा आदि से संबंधित काम कर सकती. यह अनुच्छेद संबंधित राज्यों को विशेष दर्जा जैसी व्यवस्था देता है. महाराष्ट्र और गुजरात, दोनों राज्यों के राज्यपाल को आर्टिकल-371 के तहत ये विशेष अधिकार है कि वे महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के अलग विकास बोर्ड बना सकते हैं. इन इलाकों में विकास कार्य के लिए बराबर फंड दिया जाएगा.

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