गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत गरीब बच्चों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चलाये जा रहे कार्यकम ‘गेल उत्कर्ष सुपर 100’ के तहत इस साल 100 छात्र-छात्राओं में से 91 ने आईआईटी की मुख्य परीक्षा पास की. इनमें से 39 ने आईआईटी एडवांस राउंड पास कर लिया. यह सभी बच्चे बहुत गरीब घरों के और गांव के रहने वाले हैं.
गांव देहात के इन गरीब बच्चों की एक साल की पूरी कोचिंग और पढ़ाई का पूरा खर्च गेल ने उठाया. अब आईआईटी या अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन हो जाने के बाद अगले चार साल तक इनकी पढ़ाई का खर्च भी गेल ही उठाएगा.
गेल सीएसआर के उपमहाप्रबंधक (डीजीएम) अनूप गुप्ता ने शनिवार को एक पत्रकार वार्ता में बताया कि वर्ष 2009 में गेल ने अपने सामाजिक कार्यक्रम के तहत कानपुर में गेल उत्कर्ष कार्यक्रम की शुरुआत की. इस कार्यक्रम के तहत गांव देहात के उन प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग कोचिंग कराने का जिम्मा लिया, जो पैसे की कमी के कारण कोचिंग आदि नही कर पाते है. और जिनका इंजीनियरिंग कॉलेज और आईआईटी जैसे संस्थानो में प्रवेश नहीं हो पाता है. वर्ष 2009 में 20 बच्चों के साथ शुरू यह कार्यक्रम पिछले साल 100 छात्रों तक पहुंच गया.
इन सभी छात्र-छात्राओं को गेल उत्कर्ष योजना के तहत 11 महीने की विशेष एवं कुशल शिक्षकों द्वारा कोचिंग दिलायी जाती है. इस दौरान इन छात्र-छात्रों की पढ़ाई, किताब, खाने-पीने, रहने आदि का पूरा इंतजाम गेल की सीएसआर योजना के तहत किया जाता है.
गुप्ता से जब पूछा गया कि इन गरीब बच्चों का चयन कैसे किया जाता है तो उन्होंने बताया कि इसके लिए ग्रामीण इलाकों के नवोदय स्कूलों और अन्य सरकारी स्कूलों के ऐसे बच्चों की प्रवेश परीक्षा ली जाती है, जिनके परिवार की वाषिर्क आय सवा लाख रुपये हो. उसके बाद जो बच्चे इस परीक्षा में पास हो जाते है उनका इंटरव्यू किया जाता है और उनमें से 100 बच्चे चयनित करके उनकी कोचिंग का कार्यक्रम कानपुर में चलाया जाता है. गेल पूरे देश में केवल कानपुर में ही ऐसा कार्यक्रम चला रही है.
इन बच्चों का जब किसी आईआईटी या इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला हो जाता है तो कंपनी इन बच्चों को पांच हजार रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता जेब खर्च के नाम पर लगातार चार साल तक देती है. योजना के तहत पिछले पांच सालों से अब तक गेल ऐसे बच्चों की पढाई पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
गुप्ता ने बताया कि इस साल आईआईटी प्रवेश परीक्षा में जो 39 छात्र'छात्राएं पास हुए हैं, उनमें से 19 छात्रों की रैंक 2500 तक है. ये सभी छात्र ग्रामीण क्षेत्रों के हैं और इनके माता-पिता छोटे किसान या दैनिक मजदूरी करने वाले लोग हैं. इन 39 सफल छात्रों में से 9 सामान्य वर्ग के, 13 अन्य पिछड़ा वर्ग, 15 अनुसूचित जाति तथा 2 अनुसूचित जनजाति के हैं.