नई दिल्ली. अपनी ऑडिट रिपोर्ट से टेलीकॉम क्षेत्र में भ्रष्टाचार की परतें उधेड़ देने वाले पूर्व कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) विनोद राय ने कहा कि बिजली कंपनियों के वित्तीय खातों की तो जांच होनी ही चाहिए, प्राइवेट कंपनियों की साझेदारी में बनी सभी परियोजनाओं का भी सरकारी ऑडिटरों द्वारा ऑडिट होना चाहिए.
उन्होंने जानना चाहा कि प्राइवेट कंपनियां सरकारी ऑडिट से क्यों भाग रही हैं? राय ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियां पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की तरह ही हैं. उनके खातों की एक विश्वसनीय ऑडिटर से जांच होनी चाहिए और सरकार का विश्वसनीय ऑडिटर सीएजी ही है.
विनोद राय ने कहा कि सभी पीपीपी परियोजनाओं का ऑडिट होना चाहिए. इसके लिए बकायदा एक धारा होनी चाहिए कि सीएजी किसी भी पीपीपी परियोजना का ऑडिट कर सकता है. उन्होंने पूछा कि प्राइवेट कंपनियों को इसमें क्या आपत्ति है?
राय का यह बयान दिल्ली सरकार के उस फैसले के बाद आया है जिसमें प्राइवेट बिजली कंपनियों के खातों का ऑडिट सीएजी से कराने की बात कही गई है. सीएजीइनके खातों का 2002 से ऑडिट करने की प्रक्रिया में है. उस समय से ही प्राइवेट बिजली कंपनियां काम कर रही हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी टेलीकॉम कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट कराने को हरी झंडी दिखा दी है.
डीईआरसी के चेयरमैन पीडी सुधाकर ने जुलाई में प्राइवेट बिजली कंपनियों के खातों की सीएजी से जांच कराने की बात कही थी.