देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने गुरुवार को कहा कि रक्षा खरीद में कुछ बड़ी खामियां हुई हैं, जो देश की रक्षा तैयारी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
संसद में पेश वायुसेना और नौसेना पर सीएजी की रिपोर्ट में कई खामियों की ओर इशारा किया गया. इन खामियों में रक्षा मंत्रालय द्वारा रडार वार्निग रिसीवर प्रणाली की खरीद और एकीकरण में देरी और नौसेना द्वारा अनुपयुक्त नेविगेशन कम्प्यूटर की खरीद शामिल है.
लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी वायुसेना
रिपोर्ट में ऐसी बड़ी खरीद की ओर इशारा किया गया है, जिसमें या तो देरी हुई या फिर वह अपना मकसद हासिल करने में कामयाब नहीं रहा. जहां तक 336 रडार वार्निंग रिसीवर (आरडब्ल्यूआर) की खरीद की बात है, 521 करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद भारतीय वायुसेना निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई, क्योंकि एकीकृत आरडब्ल्यूआर के प्रदर्शन को असंतोषजनक पाया गया.
सीएजी को मिली गड़बड़ी
सीएजी ने कहा कि भारतीय नौसेना को करीब एक दशक पहले 167.64 करोड़ रुपये निवेश से कुछ महत्वपूर्ण लाभ नहीं मिला. यह पनडुब्बियों को काम पर लगाने की प्रणाली से सम्बंधित खरीददारी थी.
फैसले लेने की प्रक्रिया में सुधार जरूरी
रिपोर्ट में कहा गया, 'रक्षा मंत्रालय (नौसेना) के एकीकृत मुख्यालय द्वारा एक क्रिटिकल टेस्ट सुविधा के निर्माण तथा एक उपकरण की खरीद में तालमेल नहीं बना पाने के कारण 10.72 करोड़ रुपये का जांच उपकरण तीन सालों से अधिक समय तक काम में नहीं लाया जा सका.' सीएजी ने पैसे की कीमत वसूल करने के लिए रक्षा मंत्रालय और सेवाओं के मुख्यालय में फैसला लेने की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत बताई.