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पूर्व DSP देवेंद्र सिंह केस का तार पाक हाई कमीशन के कर्मचारियों से जुड़ा

भारत सरकार की ओर से हाल ही में पाक उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी के निर्णय को डीएसपी देवेंद्र सिंह केस में चल रहे जांच के मद्देनजर लिया गया है. सूत्रों का दावा है कि एनआईए की ओर से जांच किए जा रहे दो केसों में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों की सक्रिय भूमिका थी.

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पूर्व डीएसपी देवेंद्र सिंह (फाइल फोटो- PTI)
पूर्व डीएसपी देवेंद्र सिंह (फाइल फोटो- PTI)

  • पाक हाई कमीशन के कर्मचारी टेरर फंडिंग में थे शामिल
  • हुर्रियत के कई नेताओं को फंडिंग, देवेंद्र सिंह केस से जुड़े तार
दिल्ली में जासूसी करने के आरोप में पाकिस्तान के 2 अधिकारियों को उनके स्वदेश भेजने के बाद विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान से दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में 50 फीसदी स्टाफ कम करने को कहा है. अब इस फैसले के तार डीएसपी देवेंद्र सिंह केस जुड़े नजर आ रहे हैं.

सूत्रों का दावा है कि पाकिस्तानी हाई कमीशन कथित रूप से दो मामलों में सीधे तौर पर शामिल था, जिनकी जांच एनआईए कर रही थी. इसके सबूत भी एनआईए को मिले हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देवेंद्र सिंह केस में शफाकत नाम के एक शख्स की भूमिका सामने आई है, जो पाकिस्तान हाई कमीशन में सहायक के तौर पर काम करता था, जिसकी भूमिका जांच के दायरे में है.

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एनआईए जांच में यह बाद सामने आई थी कि जम्मू कश्मीर पुलिस के निलंबित डीएसपी देवेंद्र सिंह मामले में इरफान शफी मीर, हिज्बुल कमांडर नवीद मुश्ताक और रफी अहमद भी आरोपी हैं. मॉड्यूल की गिरफ्तारी 11 जनवरी को इसी साल हुई थी.

जासूसी प्रकरण के बाद भारत ने PAK उच्चायोग से कहा- 50 फीसदी स्टाफ कम करे

पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि आरोपी लगातार पाकिस्तानी उच्चायोग के एक कर्मचारी शफाकत के संपर्क में बने हुए थे. वह हवाला ट्रांजैक्शन और आतंकी फंडिंग के लिए सक्रिय तौर पर काम कर रहा था. एनआईए जुलाई के पहले सप्ताह में डीएसपी देवेंद्र सिंह केस के संबंध में जम्मू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगी.

हुर्रियत के नेताओं को मिली फंडिंग

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग केस (2017) की जांच कर रही है. जांच के दौरान यह सामने आया है कि आरोपी जहूर अहमद शाह वाटाली ऐसे चैनेल के तौर पर काम कर रहा था जिसके जरिए आईएसआई अधिकारी और पाकिस्तानी उच्चायोग नई दिल्ली से हुर्रियत नेताओं के लिए फंडिंग जुटाते थे.

जहूर वटाली के आवासीय इलाके में सर्च ऑपरेशन के दौरान एक दस्तावेज सामने आया था जिसमें हुर्रियत नेताओं को मिले फंडिंग के संबंध में कई जानकारियां थीं. इकबाल चीमा का नाम भी इस दस्तावेज में सामने आया था.

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दस्तावेज के मुताबिक 13 मार्च 2016 को पाकिस्तानी उच्चायोग नई दिल्ली में जहूर अहमद शाह वटाली को 30 लाख और 20 अक्टूबर 2016 को इकबाल चीमा के जरिए 40 लाख रुपये मिले.

शक के दायरे में उच्चायोग के कर्मचारी!

मुदस्सर इकबाल चीमा पाकिस्तानी उच्चायोग, नई दिल्ली में 23 सिंतबर 2015 से 2 नवंबर 2016 तक प्रेस सचिव के तौर पर पोस्टेड रहा. मुदस्सर इकबाल चीमा के साथ 5 अन्य कर्मचारियों को 2 नवंबर 2016 को पाकिस्तान ने वापस बुला लिया.

भारत में रहने के दौरान मुदस्सर इकबाल चीमा ऐसे शख्स के तौर पर काम कर रहा था जो हुर्रियत के अलग-अलग नेताओं को जहूर अहमद शाह वटाली के जरिए फंड ट्रांसफर करता था.

2 अंडरकवर जासूसों ने छोड़ा था देश

इससे पहले जून में पाकिस्तान के आईएसआई के दो अंडरकवर एजेंट्स को तब देश छोड़ना पड़ गया जब एक संयुक्त ऑपरेशन में पुलिस और अन्य जासूसी एजेंसियों ने उनके कारनामे का भंडाफोड़ कर दिया.

आबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग के साथ नई दिल्ली में ही रहे थे. असलियत सामने आई तो उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा.

जासूसी करते पकड़े गए पाक उच्चायोग के दो अफसर, 24 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश

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