ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लद्दाख में चीन से गतिरोध खत्म होने और चीनी सेना के पीछे जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला है. ओवैसी ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री के अनुसार जब चीन घुसा ही नहीं, तो पीछे हटने या डिस इंगेजमेंट के लिए सहमत क्यों है?
ओवैसी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब उन्होंने सर्वदलीय बैठक में यह कहा कि न कोई घुसा है ना ही घुस आया है, तो देश के नागरिकों से झूठ बोला और गुमराह किया गया. ओवैसी ने आरोप लगाया है कि एलएसी पर भारतीय हिस्से में बफर जोन पर सहमत होकर प्रधानमंत्री ने हिंदुस्तान की मिट्टी पर चीन के कब्जे को वैध कर दिया है.
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ओवैसी ने कहा कि बफर जोन की इस सहमति के कारण हमने पेट्रोल पॉइंट 14, 15 और 17 ए पर अपना नियंत्रण छोड़ दिया है. हम अपने ही क्षेत्र में गश्त नहीं कर पाएंगे. ओवैसी इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने कहा है कि एलएसी से 6 किलोमीटर दूर स्थित श्योक भारत के लिए गश्त की सीमा होगा. यह गलवान घाटी का इलाका चीन को देने जैसा ही है. क्योंकि हम इस क्षेत्र में फिर कभी गश्त नहीं कर पाएंगे.
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प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को टैग करते हुए ओवैसी ने सवाल किया रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जमीन चीन को देने का पावर किसने दिया? एआईएमआईएम प्रमुख ने पैंगौंग झील इलाके के हालात को भी खराब बताया है. उन्होंने कहा कि वहां भी हमें फिंगर 8 तक गश्त करने से रोक दिया गया है, जैसा कि हम ऐतिहासिक रूप से करते रहे हैं. ओवैसी ने सवाल किया कि सरकार वहां भी पुरानी स्थिति बहाल करने पर जोर क्यों नहीं दे रही? चीनी इस बात पर जोर देंगे कि यह नई वास्तविक सीमा होगी.
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उन्होंने कहा कि यह अजीब है कि भारत अप्रैल से पहले की पोजिशन पर जाने की मांग लगातार करता रहा. ओवैसी इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को उसकी सुविधा के अनुसार भारतीय क्षेत्र छोड़ने का पावर नहीं है. देश की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने का अधिकार केवल संसद को है.
कांग्रेस-शिवसेना ने भी सरकार पर बोला था हमला
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस और शिवसेना ने भी सरकार पर करारा हमला बोला था. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि एनएसए डोभाल के संगठन के संबंध चीन से हैं. वहीं, शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने सवालिया अंदाज में ट्वीट कर कहा था कि जब एक बार बात करने में ही चीन गतिरोध खत्म करने के लिए राजी हो गया, तो उन्हें ऐसा और पहले करना चाहिए था. उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा था कि वे इतने दिन तक कहां थे?
बता दें कि एनएसए डोभाल ने रविवार को चीन के विदेश मंत्री से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी. लगभग दो घंटे तक चली वार्ता के बाद चीन एलएसी पर शांति स्थापित करने और गतिरोध खत्म करने के लिए अपनी सेना को पीछे हटाने पर राजी हो गया था. अगले ही दिन यानी सोमवार को चीन ने गलवान में अपनी सेना एक से दो किलोमीटर तक पीछे हटा ली थी.