बस उस पल का इंतजार है, जब चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 उतरेगा.
7 सितंबर की रात करीब 1.38 बजे चंद्रयान-2 चांद के ऊपर 35 किमी की ऊंचाई से सतह की तरफ जाना शुरू करेगा. करीब 10 मिनट बाद 7.4 किमी की ऊंचाई से इस पर ब्रेक लगाया जाएगा. ये ब्रेक उसके इंजन को विपरीत दिशा में स्टार्ट कर किया जाएगा. करीब दो मिनट बाद 1.50 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह की मैपिंग शुरू करेगा. इसके ठीक दो मिनट बाद यानी 1.52 बजे विक्रम लैंडर चांद की सतह की सबसे नजदीकी तस्वीर पृथ्वी पर इसरो सेंटर को भेजेगा.
Ever wondered about Pragyan’s different parts and how it functions? Watch the full video to find out!https://t.co/EuL6Gf72Jd#ISRO #Chandrayaan2 #Moonmission
— ISRO (@isro) September 6, 2019
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इस तस्वीर को भेजने के बाद करीब एक मिनट बाद यानी 1.53 बजे के आसपास वह चांद की सतह पर उतरेगा. इसके दो घंटे बाद यानी 3.53 बजे विक्रम लैंडर, रोवर के बाहर आने के लिए अपने दरवाजों को खोलकर रैंप बाहर निकालेगा. आधे घंटे बाद 4 बजकर 23 मिनट पर प्रज्ञान ऑन होगा.
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सुबह 5.03 बजे प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल एक्टीवेट होगा. इसके करीब 16 मिनट बाद 5.19 बजे प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से रैंप के सहारे बाहर निकलेगा. उसे चांद की सतह पर उतरने में करीब दस मिनट लगेंगे. यानी 5.29 मिनट पर प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा. इसके बाद 5.45 बजे प्रज्ञान रोवर अपने यान यानी विक्रम लैंडर की सेल्फी लेकर पृथ्वी पर भेजेगा.
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लगा है सोलर पैनल
छह पहियों वाला प्रज्ञान तमाम खूबियों से लैस है. इसके छह पहियों के ऊपर सोने के रंग की ट्रालीनुमा बॉडी है. इस बॉडी के सबसे ऊपर के हिस्से में सोलर पैनल लगा हुआ है जो सूर्य से ऊर्जा लेकर रोवर को संचालित रखेगा. वहीं इसके दोनों हिस्सों में एक-एक कैमरा लगा है. ये दोनों ही नैविगेशन कैमरे हैं जो रोवर को रास्ता बताएंगे.
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वहीं विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से ठीक वैसे ही प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं. ये सीढियां नहीं, बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी. यहां से जैसे ही प्रज्ञान नीचे उतरेगा, उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे और वो पूरी तरह चार्ज होगा. यहां से वो चंद्रमा की सतह पर पैर रखते ही मिशन से जुड़े सभी संदेश धरती पर भेजने लगेगा.