बिहार में महागठबंधन की एकता को बनाए रखने के लिए दो दिन पूर्व (27 अगस्त) को बैठक जरूर हुई मगर इस पर आम राय नहीं बन सकी कि गठबंधन का नेता कौन होगा. बिहार में महागठबंधन में सीटों के हिसाब से बड़े भाई की भूमिका में खड़ी दिख रही राजद के नेता तेजस्वी यादव को यह भूमिका सौंपे जाने पर विपक्ष अभी सहमत नहीं हुआ है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में भी विपक्ष बिखरा हुआ है. बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान सफल रहा महागठबंधन का प्रयोग लोकसभा चुनाव में गुल नहीं खिला सका. 40 में से 39 सीटों पर महागठबंधन की हार हुई. सहयोगी दलों की एकजुटता के लिए बीते मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर बैठक हुई.
इस बैठक में कांग्रेस, राजद, रालोसपा, हम और वीआईपी पार्टी के नेता शामिल हुए. तय हुआ कि बीजेपी और एनडीए से मुकाबले के लिए महागठबंधन की धार कुंद नहीं होने दी जाएगी. राजनीति के बदलते स्वरूप के साथ महागठबंधन को तैयार करने पर नेताओं के बीच विचार हुआ.
तेजस्वी पर साध गए चुप्पी
बिहार में महागठबंधन के अगुवा की भूमिका में कौन होगा? इस सवाल का जवाब देने से महागठबंधन के सहयोगी दलों के नेता चुप्पी साध जाते हैं. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कई बार तेजस्वी को कम तजुर्बे वाला नेता करार दे चुके हैं. बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर बाद में महागठबंधन का नेता तय किए जाने की बात कही.
उधर, कांग्रेस नेता वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने यह कहकर और सस्पेंस बढ़ा दिया है कि 2020 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगी कि किसके नेतृत्व में मैदान में उतरना है. रालोसपा मुखिया उपेंद्र कुशवाहा, वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी भी इस मसले पर कुछ बोलने से बचते रहे हैं.