बाबा रामदेव पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए लगाई गई याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोरोनिल से कोरोना के इलाज के दावे के लिए की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर बाबा रामदेव पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए याचिका डाली गई थी.
पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में पहले ही जयपुर में एफआईआर दर्ज हो चुकी है. ऐसे में एक जैसे आरोपों के लिए दूसरे राज्य में एफआईआर दर्ज करने की जरूरत नहीं है, खासकर तब जब राजस्थान पुलिस इस मामले की पहले से जांच कर रही है.
बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल कर दी थी, जिसमें पुलिस ने कहा था कि जयपुर आया नगर की पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज करके जांच कर रही है.
साथ ही पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कोर्ट को कहा था कि शिकायतकर्ता ने कोरोनिल कभी खरीदा नहीं और न ही इस्तेमाल किया, केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस देखकर शिकायत की. बाबा रामदेव की प्रेस कॉन्फ्रेंस हरिद्वार में हुई थी.
ऐसे में शिकायतकर्ता को सीधे आयुष मंत्रालय में शिकायत देनी चाहिए थी, जो कि शिकायतकर्ता ने नही किया. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को पावर बूस्टर के तौर पर बेचने की स्वीकृति दे दी है.
रामदेव के दावे पर कोर्ट में हुई सुनवाई, दिल्ली पुलिस ने पेश की स्टेटस रिपोर्ट
जबकि इस मामले में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि अगर जयपुर में एफआईआर दर्ज हो सकती है तो दिल्ली में उनकी शिकायत पर क्यों नही? क्या जयपुर पुलिस और दिल्ली पुलिस के आईपीसी में कोई अंतर है? दोनों पुलिस अलग-अलग आईपीसी पर काम करती है. बुधवार को सभी दलीलों को सुनने और पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट को देखने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका तुषार आनंद की तरफ से उनके वकील ललित वलेचा और मनु प्रभाकर ने लगाई थी. कोर्ट में लगाई इस अवधि में मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाकर बताया गया कि बाबा रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आम लोगों के मन मे भ्रम पैदा करके कोरोना महामारी के बीच में फायदा उठाने की कोशिश की.