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उत्तर प्रदेश के कैबिनेट सचिव की मुश्किलें बढ़ीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मायावती सरकार के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है.

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शशांक शेखर की मुश्किलें बढ़ी
शशांक शेखर की मुश्किलें बढ़ी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मायावती सरकार के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है.

प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले विनोद कुमार वर्मा की तरफ से दायर जनहित याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अमर सरन और रमेश सिन्हा की संयुक्त खंडपीठ ने दिया.

जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई कि शशांक शेखर और उनके भाई मोहित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. याचिकाकर्ता ने आयकर विभाग की नौ साल पुरानी आयकर विभाग की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें शशांक शेखर सिंह और उनके भाई मोहित को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी जमीन पर कब्जा और काले धन को वैध बनाने (मनी लॉड्रिंग) का आरोपी बताया गया था.

अदालत ने मामले में राज्य सरकार के साथ केंद्र को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

उल्लेखनीय है कि मायावती सरकार द्वारा शशांक शेखर सिंह को बिना भारतीय प्रशासिनक सेवा (आईएएस) अधिकारी हुए राज्य का कैबिनेट सचिव नियुक्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है.

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