उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोई नॉमिनी केवल उस व्यक्ति के बैंक खाते में जमा धन को स्वीकार सकता है जिसकी मौत हो गयी हो लेकिन वह उस खाते में जमा धन के पूर्ण स्वामी होने का दावा नहीं कर सकता है.
शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर एम लोढा की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मूल जमाकर्ता के खाते में जमा धन को संबंधित समुदाय के उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत दावेदारों के बीच वितरित किया जाना चाहिए और नॉमिनी उस खाते पर पूर्ण स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता है.
पीठ ने कहा, ‘बैंकिंग नियामक अधिनियम की धारा 45 जेडए (2) में नॉमिनी को मृत व्यक्ति (जमाकर्ता) के खाते में जमा धन को स्वीकार करने का अधिकार दिया गया है.’ उन्होंने कहा, ‘इसके तहत नॉमिनी को जमाकर्ता के खाते के संबंध में अधिकार दिये गए हैं लेकिन इससे नॉमिनी यह न समझने लगे कि वह मालिक के खाते में जमा धन का स्वामी हो गया है.’
शीर्ष अदालत ने रामचंद्र तलवार की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया जिसने दावा किया था कि चूंकि वह अपनी मृत मां के खाते का नॉमिनी है, इसलिए उसके भाई या परिवार के अन्य सदस्य खाते में जमा धन के हकदार नहीं हैं.