बीबीसी ने सोमवार को कहा कि वह अगले एक साल तक के लिये बीबीसी की शाम की एक घंटे की सेवा को बनाये रखेगी और इसके वित्त पोषण के लिये विकल्पों की तलाश करेगी."/> बीबीसी ने सोमवार को कहा कि वह अगले एक साल तक के लिये बीबीसी की शाम की एक घंटे की सेवा को बनाये रखेगी और इसके वित्त पोषण के लिये विकल्पों की तलाश करेगी."/> बीबीसी ने सोमवार को कहा कि वह अगले एक साल तक के लिये बीबीसी की शाम की एक घंटे की सेवा को बनाये रखेगी और इसके वित्त पोषण के लिये विकल्पों की तलाश करेगी."/>
 

बीबीसी हिंदी सेवा को मिला आंशिक जीवनदान

हिंदी सेवा को बंद करने के खिलाफ चले व्यापक विरोध और हस्ताक्षर अभियान के बाद बीबीसी ने सोमवार को कहा कि वह अगले एक साल तक के लिये बीबीसी की शाम की एक घंटे की सेवा को बनाये रखेगी और इसके वित्त पोषण के लिये विकल्पों की तलाश करेगी.

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हिंदी सेवा को बंद करने के खिलाफ चले व्यापक विरोध और हस्ताक्षर अभियान के बाद बीबीसी ने सोमवार को कहा कि वह अगले एक साल तक के लिये बीबीसी की शाम की एक घंटे की सेवा को बनाये रखेगी और इसके वित्त पोषण के लिये विकल्पों की तलाश करेगी.

कई प्रख्यात पत्रकारों और लोगों ने खर्च घटाने के लिये बीबीसी की हिंदी सेवा को बंद करने के फैसले का जमकर विरोध किया था.

यह सेवा 31 मार्च को बंद होनी थी लेकिन उसे एक साल के लिये बढ़ा दिया गया है. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने कहा है कि उसे कई व्यावसायिक पक्षों ने सेवा के लिये वैकल्पिक वित्त पोषण का सुझाव दिया था.

लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं मिला तो यह सेवा मार्च 2012 में बंद कर दी जायेगी.

इस अभियान को अरूंधति राय, विक्रम सेठ और मार्क टुली ने समर्थन दिया था. इन लोगों ने कहा था कि बीबीसी हिंदी सेवा के एक करोड़ श्रोता हैं जिसमें अधिकतर ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखते हैं.

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बीबीसी विश्व सेवा की शुरूआत वर्ष 1940 में हुई थी और जब भारत में मीडिया पर सरकारी नियंत्रण था, उस समय इसे जबर्दस्त लोकप्रियता मिली.

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