उच्चतम न्यायालय द्वारा शुक्रवार को जमानत दिए जाने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन रायपुर केंद्रीय जेल से रिहा हो गए. जेल के बाहर उनके घरवालों ने उनका स्वागत किया.
रिहाई के दौरान सेन की माता, पत्नी, बेटियां तथा कई समर्थक जेल परिसर में मौजूद थे. उच्चतम न्यायालय द्वारा पीयूसीएल नेता बिनायक सेन को जमानत पर रिहा करने के आदेश के बाद सोमवार शाम सात बजे उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
उनकी रिहाई समय उनकी मां अनुसुइया, पत्नी इलीना, बेटियां और भारी संख्या में समर्थक वहां मौजूद थे जो लगभग तीन घंटे से उनके पक्ष में और राज्य सरकार के विरोध में नारे लगा रहे थे. जेल के सामने नारे लगा रहे उनके समर्थकों ने कहा कि वे खुश हैं कि उनके नेता जेल से रिहा हो रहे हैं और इससे उनके द्वारा किए जा रहे कामों को बल मिला है. सेन ने हमेशा गरीबों और निचले तबके के लोगों के लिए काम किया लेकिन सरकार ने उसे राजद्रोह की संज्ञा दे दी. वे हमेशा सेन के साथ रहेंगे.
रिहाई के बाद सेन को जब बड़ी संख्या में मौजूद मीडियाकर्मियों ने घेर लिया तब उन्होंने कहा कि वे बाहर आकर बहुत खुश हैं तथा जल्द ही वे मीडिया से बात करेंगे. इसके बाद वे वहां से चले गए. इससे पहले दिन भर हुए घटनाक्रम में उनके वकील महेंद्र दुबे ने स्थानीय अदालत को उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रतिलिपि सौंपी. आदलत ने दोपहर बाद पीयूसीएल नेता को 50-50 हजार रुपए की जमानत और निजी मुचलके के साथ चार शर्तों पर रिहा करने का आदेश दिया.
सेन के वकील महेंद्र दुबे ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सेन को जमानत देने के आदेश की प्रतिलिपि उन्होंने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश की. दोपहर बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीपी वर्मा की अदालत ने विनायक सेन को 50 हजार रुपए की जमानत और 50 हजार रुपए का निजी मुचलका, विदेश जाने से पहले अनुमति लेने, पासपोर्ट या वीजा जो उनके पास हो जमा करने तथा प्रत्येक पेशी में उपस्थित होने के आदेश के साथ रिहा करने का आदेश दिया है. इसके बाद दुबे और अदालत परिसर में मौजूद उनके परिजनों ने अदालती प्रक्रिया का पालन किया तथा शाम को सेन की रिहाई का आदेश केंद्रीय जेल रायपुर पहुंचा तब उनकी रिहाई हो सकी.
सेन की पत्नी इलीना ने खुशी जाहिर की और कहा कि यदि आप अच्छा नागरिक बनने की कोशिश करते हैं तो राज्य को यह मंजूर नहीं है. इलीना ने कहा कि 10 साल पहले सोचा भी नहीं था कि जिंदगी में ऐसा दिन भी आएगा. उन्होंने कहा कि वे आदिवासियों के हितों के लिए अभी भी काम करते रहेंगे.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की अदालत ने 24 दिसम्बर 2010 को राजद्रोह के आरोप में सेन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सेन के साथ नक्सली नेता नारायण सान्याल और कोलकाता के व्यापारी पीजूष गुहा को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को उनकी जमानत याचिका को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया था कि उनके पास से नक्सली साहित्य बरामद हुआ था और वे सान्याल के साथ नक्सली पर्चो का आदान-प्रदान करते थे. सेन ने उच्चतम न्यायालय में जमानत की अर्जी दायर की और 15 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने निचली अदालत द्वारा जमानत की शर्तें तय करने के आदेश के साथ सेन को जमानत दे दी.