छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता बिनायक सेन को निर्देश दिये कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप अपना पासपोर्ट जमा करा दें.
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश बी. पी. वर्मा ने निर्देश दिये कि सेन को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और जमानत राशि का भुगतान करने पर रिहा कर दिया जाये. सेन को उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी है. सेन को निचली अदालत ने नक्सलियों की मदद कर देशद्रोह करने के मामले में उम्र कैद की सजा सुनायी थी.
स्थानीय अदालत ने यह निर्देश तब दिये जब सेन के वकील महेंद्र दुबे ने न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय का आदेश सौंपा. शीर्ष अदालत ने सेन की जमानत पर रिहाई के लिये शर्तें लगाने का फैसला निचली अदालत पर छोड़ दिया था.
61वर्षीय सेन को पिछले वर्ष दिसम्बर में दोषी करार दिया गया था. तभी से वह इस जेल में बंद हैं. स्थानीय अदालत ने सेन से कहा कि वह देश नहीं छोड़ें और जब कभी जरूरी हो तो उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिये पेश हो जायें. अदालत में अपने पुत्री तथा अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद सेन की पत्नी इलिना ने कहा, ‘हमने लंबे वक्त तक संघर्ष किया है. हम आदिवासियों के लिये काम करना जारी रखेंगे.’