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बिनायक सेन की जमानत से खुश हुए परिजन

मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन को जमानत दिये जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर उनके मित्रों, परिजनों और कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी खुशी जताई.

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मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन को जमानत दिये जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर उनके मित्रों, परिजनों और कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी खुशी जताई.

सेन के वकील राम जेठमलानी ने कहा कि फैसला बोलने की आजादी के अधिकार को ‘लोकतंत्र के एक सिद्धांत‘ के तौर पर मान्यता देता है. केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और सलमान खुर्शीद ने सेन को रिहा करने के शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रसन्नता जताई. सेन को छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने नक्सलियों की मदद करने के मामले में देशद्रोह का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. विधि मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने इसे प्रदेश सरकार के लिए आंखें खोलने वाला फैसला कहा.

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में सेन की 84 वर्षीय मां अनुसूइया ने कहा, ‘सत्यमेव जयते. न्याय प्रणाली में मेरी आस्था फिर से हुई है.’ उन्होंने यह इशारा भी किया कि यह फैसला बंगाली नववर्ष के मौके पर आया है. सेन की मां ने कहा, ‘मैं बहुत राहत महसूस कर रहीं हूं, बहुत खुश हूं, मेरे बेटे ने काफी कुछ सहा है. जब बच्चे आसपास हों तो मां बहुत खुशी महसूस करती है. यह नये साल का अच्छा उपहार है. मैं इस फैसले से खुश हूं. मुझे अब उसे और पत्र नहीं लिखना पड़ेगा, वह अब मुझसे बात करेगा.’

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अपने बेटे को ‘गांधीवादी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘वह कभी हिंसा में भरोसा नहीं करते.’ सेन की जमानत के लिए शीर्ष अदालत में दलील देने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा, ‘मुझे यह बात कबूल करनी चाहिए कि यह उन कुछ मामलों में से है जिसमें उच्चतम न्यायालय में जो हुआ उस बारे में मैं निजी तौर पर बहुत खुश हूं.’ जेठमलानी ने कहा कि यह लोकतंत्र के महान सिद्धांत को साबित करता है कि सभी को बोलने की आजादी का अधिकार है.

उन्होंने कहा, ‘सेन किसी तरह की हिंसा में शामिल नहीं हैं और ना ही उन्होंने किसी को हिंसा करने के लिए प्रेरित किया.’ जेठमलानी ने कहा, ‘सभी के घर में साहित्य उपलब्ध है और मैं आपको बताता हूं कि मेरे घर में और भी खतरनाक साहित्य है.’

उन्होंने कहा, ‘राजनेताओं को यह बात समझनी चाहिए लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे इसे समझते नहीं हैं.’ सेन की पत्नी इलिना ने पीठ में शामिल एक न्यायाधीश के विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि किसी के पास महात्मा गांधी का साहित्य होने से वह गांधीवादी नहीं हो जाता है. उन्होंने कहा, ‘निचली अदालत का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण था. मैं यह नहीं कहूंगी कि न्यायप्रणाली में मेरा भरोसा खत्म हो गया था लेकिन इससे थक गयी थी और धर्य से बाहर हो गया था.’

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इलिना ने दावा किया कि उनके पति के खिलाफ आरोप हास्यास्पद हैं. केंद्रीय विधि मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा, ‘यह आंखें खोलने वाला है. छत्तीसगढ़ सरकार को बिना किसी पूर्वाग्रह के तटस्थ भाव से और उचित तरह से सोचना चाहिए. और जब मामला देश की सबसे सर्वोच्च अदालत में है तो और सतर्क रहने की जरूरत है.’

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