सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी का असर दिखने लगा है. दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों से पहले बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पराली जलाने पर पंजाब सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. पिछले एक हफ्ते में राज्य में 27 मामलों में एफआईआर दर्ज की गईं और प्रत्येक आरोपी किसान पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. यह कार्रवाई 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ठीक बाद शुरू हुई, जब मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने पराली जलाने पर गिरफ्तारी तक की बात कही.
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल किया कि उल्लंघन करने वाले किसानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? बेंच ने स्पष्ट कहा, 'किसान अन्नदाता हैं, लेकिन पर्यावरण से खिलवाड़ की छूट नहीं दी जा सकती. कुछ किसानों को जेल भेजना एक मजबूत संदेश देगा.' सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियां- कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CQAM), सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रल बोर्ड (CPCB) और राज्य बोर्ड सर्दियों से तीन हफ्ते पहले प्रदूषण रोकने के उपाय सुझाएं. हर साल सर्दियों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है, इसलिए समय रहते सख्त कदम जरूरी हैं.
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पंजाब सरकार के अनुसार, 15 सितंबर से पराली जलाने की घटनाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू हुई, जो 30 नवंबर तक चलेगी. इस आधार पर दर्ज 27 मुकदमों में सबसे ज्यादा 18 अमृतसर जिले में हैं. तरनतारन में पांच, पटियाला में तीन और फिरोजपुर में एक मामला दर्ज हुआ है. राज्य सरकार ने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगरानी तेज कर दी गई है.
यह कदम दिल्ली-एनसीआर के हवा की गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जहां पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण है. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्त पद तीन महीने में भरने का भी आदेश दिया, ताकि संस्थागत क्षमता मजबूत हो. किसान संगठनों का कहना है कि वैकल्पिक मशीनरी और सब्सिडी बढ़ाने से समस्या का समाधान होगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दंड पर जोर दिया है.