केंद्र सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला लेते हुए आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े एकत्र करने की घोषणा की है. इस फैसले का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम लंबे समय से लंबित एक ज़रूरी मांग को पूरा करता है और देश के विकास में अहम भूमिका निभाएगा.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में बुधवार को 'सुपर कैबिनेट' मीटिंग हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल के कुछ टॉप मंत्री मौजूद थे. इसमें जाति जनगणना समेत कई अहम फैसले लिए गए. मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि आने वाली जनगणना में जातियों की गणना भी कराई जाएगी.
जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) April 30, 2025
नीतीश कुमार ने फैसले की तारीफ की
नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा, “जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है. जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है. यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है. जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी. इससे देश के विकास को गति मिलेगी. जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन तथा धन्यवाद."
विपक्ष पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि जातिगत आंकड़े अब जनगणना के दौरान पारदर्शी तरीके से एकत्र किए जाएंगे, ताकि समाज में भ्रम और राजनीतिक ध्रुवीकरण से बचा जा सके. वैष्णव ने कहा, “कुछ राज्यों ने जाति सर्वेक्षण ‘राजनीतिक उद्देश्य’ से किए हैं और यह समाज में संदेह की स्थिति पैदा करता है. अब जब यह कार्य केंद्र सरकार के अधीन आ रहा है, इसे पूर्ण पारदर्शिता के साथ किया जाएगा.”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकारें, विशेष रूप से कांग्रेस, ने जातिगत जनगणना के विचार को केवल राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में इस मुद्दे को मंत्रिमंडल में विचार के लिए भेजने की बात कही थी, लेकिन अंततः केवल एक सर्वे कराया गया, जिसे SECC (सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना) कहा गया.”
कांग्रेस ने किया पलटवार
सरकार की घोषणा के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी नेताओं की भी प्रतिक्रिया आई. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार तो राहुल गांधी पर समाज को जातियों में बांटने का आरोप लगा रही थी, तो क्या सरकार अब समाज को जातियों में बांटेगी? उन्होंने कहा कि जो आज तक राहुल गांधी पर जातियों में बांटने का आरोप लगा रहे थे, अब वे ही इसे सरकार का "मास्टरस्ट्रोक" बताएंगे.
उन्होंने कहा, "जब आपको (सरकार को) मानना ही है राहुल गांधी की बात तो विरोध ही क्यों करते हैं. ये चौथी-पांचवीं बार है जब राहुल गांधी की बात का पहले इन्होंने विरोध किया और फिर मान गए. या तो इन लोगों को सरकार नहीं चलानी आती. सामाजिक न्याय के लिए पहला कदम जाति जनगणना है, और इसके साथ कई और कदम उठाने पड़ते हैं, और उठाने चाहिए."
हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब: लालू यादव
केंद्र के फैसले पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव की भी प्रतिक्रिया आई है. उनका कहना है, "हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते हैं, उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते हैं. जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला है. अभी बहुत कुछ बाकी है. इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे."
तेजस्वी ने बताया अपनी जीत
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सरकार के इस फैसले को अपनी जीत करार दिया. उन्होंने कहा, "यह हमारी 30 साल पुरानी मांग थी. यह हमारी, समाजवादियों और लालू यादव की जीत है. इससे पहले बिहार के सभी दलों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने हमारी मांग को अस्वीकार कर दिया था. कई मंत्रियों ने इससे इनकार किया, लेकिन यह हमारी ताकत है कि उन्हें हमारे एजेंडे पर काम करना है."