आजादी के बाद से देश में चाहे किसी भी दल या गठबंधन की सरकार क्यों न रही हो, लेकिन देश के सबसे शीर्षस्थ परिवार के तौर गांधी परिवार का दर्जा कभी कम नहीं हुअा. पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी और वरुण गांधी तक इस परिवार के कुल 10 सदस्यों ने संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज की है. इन 10 राजनीतिक धुरंधरों की छाप अभी भी राष्ट्रीय राजधानी के 10 जनपथ पर देखी जा सकती है. मेनका गांधी और वरुण गांधी को छोड़ दें, तो बीते 6 दशकों में कमोबेश यही कांग्रेस का चेहरा भी रहे हैं. एक नजर गांधी परिवार के लोकसभा से रिश्ते और इन 10 नगीनों पर...
जवाहरलाल नेहरू
आजादी के आंदोलन के युवा नायक. गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी, देश के पहले प्रधानमंत्री. 1947 से 1964 तक प्रधानमंत्री रहे. 1952 में पहला लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के फूलपुर से लड़ा और अंत तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1916 में कमला नेहरू से शादी की. एक बेटी, इंदिरा गांधी, जिनका जन्म 1917 में हुआ.
फिरोज गांधी
कांग्रेस कार्यकर्ता, नेहरू द्वारा शुरू किया नेशनल हेराल्ड अखबार संभाला. 1942 में इंदिरा से शादी की. आजादी मिलने के बाद इंदिरा के साथ इलाहाबाद में सैटल हो गए. दो बच्चे हुए राजीव और संजय. 1952 में रायबरेली से लोकसभा सांसद चुने गए. 1957 में फिर चुनाव जीता. हरिदास मूंदड़ा घोटाला लोकसभा में जोर शोर से उठाया, जिससे नेहरू सरकार की साफ छवि को धक्का पहुंचा. 1958 में हार्ट अटैक आया. 1960 में इलाज के दौरान मौत हो गई.
इंदिरा गांधी
पिता जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहते उनके निजी कामों का जिम्मा संभाला. उससे पहले साल 1942 में फिरोज से शादी की. 1959 में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं. 1960 में फिरोज का बीमारी के चलते निधन हो गया. 1964 में पिता की मौत के बाद लालबहादुर शास्त्री की कैबिनेट में मंत्री बनीं. शास्त्री जी की मौत के बाद 1966 में प्रधानमंत्री बनीं. उस वक्त राज्यसभा सांसद थीं. 1967 में रायबरेली से पहला लोकसभा चुनाव जीतीं. 1977 तक इस पद पर रहीं. 1977 में लोकसभा चुनाव हारीं. अगले साल चिकमंगलूर सीट से जीतकर वापस लोकसभा पहुंचीं. बस यही एक दौर था, जब संसद में गांधी परिवार का कोई व्यक्ति नहीं था. 1980 में वह फिर रायबरेली से जीतीं और प्रधानमंत्री बनीं. ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद 1984 में सिख अंगरक्षकों ने उनकी प्रधानमंत्री आवास में गोली मारकर हत्या कर दी.
संजय गांधी
1971 में मां इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके छोटे बेटे संजय गांधी का कांग्रेस में प्रभाव शुरू हो गया. 1975 में इमरजेंसी के दौर में संजय ही सरकार चला रहे थे, ऐसा माना जाता है. 1977 में अमेठी से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए. 1980 में इसी सीट से चुनाव जीते. 1981 में दिल्ली में प्लेन उड़ाते समय हुआ एक्सिडेंट और उसमें संजय की मौत हो गई. बाद में पत्नी मेनका गांधी और बेटा वरुण गांधी राजनीति में आए.
राजीव गांधी
1981 में भाई संजय गांधी की मौत के बाद खाली हुई अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीत संसद पहुंचे. 1984 में मां इंदिरा गांधी की मौत के बाद प्रधानमंत्री बने. 21 मई 1991 को लिट्टे आतंकवादियों ने मानव बम के जरिए उनकी हत्या कर दी.
अरुण नेहरू
इंदिरा गांधी के भतीजे. कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ 1980 में रायबरेली सीट से चुनाव जीत लोकसभा पहुंचे. राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे. फिर 1989 के चुनाव से पहले इस्तीफा दे जनता दल में शामिल हो गए और वीपी सरकार में मंत्री रहे. अटल युग में अरुण नेहरू बीजेपी में शामिल हो गए.
मेनका गांधी
पति संजय गांधी की प्लेन क्रैश में मौत के बाद सास इंदिरा गांधी से रिश्ते तल्ख हुए. 1983 में अपनी पॉलिटिकल पार्टी राष्ट्रीय संजय मंच बनाया. 1984 में पति संजय की परंपरागत सीट अमेठी से अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ीं और हारीं. 1988 में अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर दिया. 1989 में महज 33 साल की उम्र में मंत्री बनीं. 1996 और 1998 में पीलीभीत से निर्दलीय सांसद बनीं. 2004 में बीजेपी ज्वाइन कर ली.
सोनिया गांधी
1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. 1999 में कर्नाटक के बेल्लाई और उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा सदस्य चुनी गईं. 2004 में अमेठी सीट बेटे राहुल के लिए छोड़ी. खुद रायबरेली से चुनाव लड़ीं. 2014 में तीसरी बार रायबरेली से लोकसभा पहुंचीं. पिछले 16 साल से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष.
राहुल गांधी
2004 में राजनीति में एंट्री. अमेठी लोकसभा से 2014 में लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए. कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष का पदभार.
वरुण गांधी
साल 1999 से मां को चुनाव में सहयोग करना शुरू किया. 2004 में बीजेपी में शामिल हुए. 2009 में पीलीभीत से सांसद चुने गए. मौजूदा लोकसभा में बलरामपुर से सांसद.