मुसलमानों और एक संगठन के बीच संवाद का सिलसिला 25 साल से चल रहा है. इस संवाद को एक गति मिली है. चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि पिछले 60-65 सालों से कुछ दलों ने मुसलमानों को एक संगठन से डराया है और उनके बीच दीवारें खड़ी की हैं. यह दीवारें गिरनी चाहिए. एक बात कही गई कि मुसलमान हमारी संतान की माफिक हैं और उनके एक हाथ में कंप्यूटर और एक हाथ में कुरान देखना चाहते हैं.