गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति की बग्घी का इतिहास रोचक है. ब्रिटिश राज के दौरान वाइसरॉय की यह बग्घी आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय बनी. अंततः टॉस से इसका फैसला हुआ और भारत को मिली. किंग्स वे से राजपथ और अब कर्तव्य पथ पर चलने वाली यह बग्घी स्वतंत्रता के बाद भारत के गौरव का प्रतीक बन गई. गणतंत्र दिवस परेड में इसकी उपस्थिति हर भारतवासी को गर्व से भर देती है.