बेल्जियम में भगोड़े व्यवसायी मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी से भारत 6,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले के मुख्य आरोपियों में से एक को वापस लाने के एक कदम और करीब पहुंच गया है. इस गिरफ्तारी ने साल 2022 में इंटरपोल के उस फैसले की ओर भी लोगों का ध्यान खींचा है जब इंटरपोल ने मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को वापस ले लिया था. इसकी वजह से मेहुल चोकसी लंबे समय तक गिरफ्तारी से बचा रहा.
इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस क्यों लिया था वापस
2022 में इंटरपोल ने चोकसी की उस अपील को स्वीकार कर लिया था. जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस हटाने की मांग की थी. इस में कहा गया था कि कथित तौर पर चोकसी के मानवाधिकार का उल्ंलघन हो सकता है और ये गिरफ्तारी राजनीतिक उत्पीड़न की वजह बन सकती है.
चोकसी की कानूनी टीम ने तर्क दिया था कि रेड नोटिस का इस्तेमाल न्याय के लिए नहीं बल्कि उत्पीड़न के साधन के रूप में किया जा रहा है. इंटरपोल ने इस दलील को स्वीकार कर लिया था और रेड कॉर्नर नोटिस को वापस ले लिया था.
चोकसी की टीम ने इंटरपोल को यह भी बताया कि चोकसी के भागने का खतरा नहीं है, क्योंकि उसने एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले ली है और 2018 में भारत से आने के बाद से वह वहां वैध रूप से रह रहा है. इसके आधार पर, इंटरपोल ने तय किया कि उसके आगे फरार होने का कोई खतरा नहीं है और इसलिए वैश्विक गिरफ्तारी अलर्ट वापस ले लिया गया.
डोमिनिका का दौरा और चोकसी की दूसरी उड़ानें
हालांकि, इंटरपोल को आश्वस्त करने वाले चोकसी के दावे भ्रामक और गलत निकले. मई 2021 में चोकसी रहस्यमय तरीके से एंटीगुआ से गायब हो गया और कुछ दिनों बाद डोमिनिका में पाया गया, जहां उसे स्थानीय अधिकारियों ने हिरासत में लिया.
चोकसी ने दावा किया था कि उसे प्रत्यर्पित करने के लिए भारतीय एजेंटों ने ऑपरेशन चलाया था और उसे किडनैप कर लिया था. लेकिन पूरे प्रकरण ने उसके "स्थायी तौर बसे हुए" और "non-flight risk (जिसके भागने का खतरा न हो)" के दावे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए.
इंडिया टुडे द्वारा आगे की जांच और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिले इनपुट से पता चला कि चोकसी ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद से कई अन्य देशों की यात्रा की थी, जबकि उसने खुद को एंटीगुआ में एक बसे हुए व्यक्ति के रूप में बताया था.
बेल्जियम में चोकसी की गिरफ्तारी का मतलब क्या
रेड कॉर्नर नोटिस न होने के बावजूद चोकसी को बेल्जियम के अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया. इससे ये साबित होता है कि सीमा पार कार्रवाइयां करने के लिए रेड कॉर्नर नोटिस का होना ही एकमात्र कारण नहीं है.
चोकसी की गिरफ्तारी भारतीय अदालतों द्वारा उसके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर गिरफ्तारी की गई थी. भारतीय अधिकारी जिन्होंने चोकसी का पीछा करने के लिए लंबे समय से कानूनी और कूटनीतिक चैनल बनाए रखे हैं, अब बेल्जियम से उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक रूप से मांग करने की तैयारी कर रहे हैं. बता दें कि भारत का बेल्जियम के साथ लंबे समय से प्रत्यपर्ण संधि है.
सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय (MEA) केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) बेल्जियम में तेजी से कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने और चोकसी को भारत वापस लाने में किसी भी तरह की देरी को रोकने के लिए समन्वय कर रहे हैं.
बेल्जियम में उसे शिकंजे में लिए जाने के साथ ही अब एजेंसियों का ध्यान प्रत्यर्पण प्रक्रिया पर केंद्रित होगा. जिसमें वहां की कानूनी कार्यवाही के आधार पर समय लग सकता है. हालांकि, भारतीय अधिकारी आशान्वित हैं कि यह गिरफ्तारी भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल भगोड़ों में से एक के मामले में एक महत्वपूर्ण सफलता की ओर ले जाएगी.