16 साल के एक लड़के ने एक सपना देखा था कि कैसे लोगों को कम दाम में सस्ती दवाई मिले, उसने अपने आसपास देखा कि लोग महंगी दवाई से परेशान थे, एक ही दवा के ब्रांड के हिसाब से अलग-अलग दाम थे. यह सब देख उसने 'जेनरिक आधार' (Generic Aadhaar) की शुरुआत की, जो ऐसा स्टार्ट-अप था जिसमें लोगों को महंगी कंपनियों की तुलना में सस्ती दवा मिल रही थी. इस 16 साल के लड़के का नाम अर्जुन देशपांडे था, जो बेहद अनजान फार्मा सेक्टर में आया, और पारंपरिक फार्मा उद्योग में बदलाव करने की कोशिश की. खास बात यह रही कि अर्जुन के इस आइडिया पर 2 साल बाद ही रतन टाटा की भी नजर गई और उसे अपने घर मीटिंग के लिए बुला लिया. तब तक अर्जुन की उम्र 18 साल हो चली थी. मीटिंग के लिए रतन टाटा की ओर से 30 मिनट का समय दिया था, पर यह मीटिंग 3 घंटे तक चली.
बाद में रतन टाटा ने अर्जुन की जेनरिक आधार कंपनी में निवेश भी किया और समय-समय पर अर्जुन को मेन्टॉर करने के लिए अपने घर पर बुलाते रहे. अब अर्जुन देशपांडे 22 साल के हैं, वह जेनरिक आधार के CEO हैं.
अर्जुन ने aajtak.in से रतन टाटा संग अपनी पहली मुलाकात को याद किया. अर्जुन देशपांडे (Arjun Deshpande) ने कहा कि मेरा एक टेडेक्स टॉक (Tedx Talks) का वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद उन्होंने (रतन टाटा) मुझे मिलने के लिए बुलाया.
अर्जुन ने बेहद गमगीन आवाज में रतन टाटा संग पहली मीटिंंग के बारे में बताया- मैंने देखा था कि कई बार लोग महंगी दवाइयां होने के कारण खरीद ही नहीं पा रहे थे. एक ही दवा अलग-अलग ब्रांड में अलग कीमत की थी. इसी वजह से मैंने 'जेनरिक आधार' शुरू किया, ताकि कम दाम में लोगों को दवा मिल सके. यही बात हमने रतन सर को बताई. इस तरकीब ने सर का भी ध्यान खींचा. हमने उनको बताया कि जो दवाएं 10 हजार से ज्यादा की कीमत में बाहर मिलती थीं, वो हमारे प्लेटफॉर्म पर 2 से ढाई हजार रुपए में मिल जाती हैं.
2016 में शुरुआत के बाद करीब 2 साल बाद अर्जुन देशपांडे को पहली बार रतन टाटा ने उनको मिलने के लिए बुलाया. अर्जुन ने कहा, 'इस मीटिंग के लिए मुझे 30 मिनट का समय दिया गया था, लेकिन यह मीटिंग करीब तीन घंटे तक चली. इस दौरान उन्होंने मुझसे पूछा कि आप लोग कैसे काम करते हैं, लोगों के पैसे कैसे बचते हैं?
रतन सर ने यह भी पूछा कि बाहर की कंपनियों की तुलना में आपकी दवा सस्ती कैसे हैं..? तब मैंने सर (रतन टाटा) को बताया कि बाहर की कंपनियां दवा की ब्रांडिंग करती हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं. उस मीटिंग में इस बात पर भी डिस्कशन हुआ कि लोगों के बीच दवा कैसे पहुंचाएं. इस मीटिंग के बाद ही रतन सर प्रभावित हुए हमें सपोर्ट किया. वो दिन था, उस दिन के बाद से रतन सर मेरे मेन्टॉर बन गए.'
अर्जुन जब हमसे बातचीत कर रहे थे तो वह कोलाबा (मुंबई) में मौजूद थे, जहां नम आंखों से कई जानी-मानी शख्सियत रतन टाटा को अंतिम विदाई देनी पहुंची थीं.
अर्जुन ने इस दौरान रुंधे हुए स्वर में कहा, आज मेरी दुनिया खत्म हो गई, उनके जैसा इंसान होना दुर्लभ है, रतन टाटा सर केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह मानवता का प्रतीक है... मैं भाग्यशाली हूं कि हर मुलाकात के दौरान उनसे कुछ नया सीखने को मिला. रतन टाटा ने कई खुले मंचों से भी अर्जुन की तारीफ की थी.
अर्जुन देशपांडे की कई बार हुई रतन टाटा से मुलाकात
उस पहली मुलाकात के बाद से जेनरिक आधार (Generic Aadhaar) के CEO अर्जुन देशपांडे (Arjun Deshpande) की रतन टाटा से कई बार मुलाकात हुई. अर्जुन ने कहा- मैं समय-समय पर सर के पास जाकर मिलता रहता था. 2-3 दिन पहले भी सर को देखने आया था. जेनेरिक आधार की वेबसाइट पर जो जानकारी है, उसके अनुसार- यह भारत में टॉप मेडिकल फ्रेंचाइजी है, जिसने दशकों पुराने फार्मा जगत में एक नया इकोसिस्टम लाया है. कंपनी का दावा है कि मेन्युफ्रेक्चरर्स से लेकर ग्राहकों को 80% तक की छूट पर दवा मिलती है.
कौन हैं अर्जुन देशपांडे
अर्जुन देशपांडे दुनिया के सबसे युवा इंटरप्रेन्योर में से एक हैं. उनके काम को देखते हुए उनको IIT मुंबई, IIT दिल्ली, CPhI, MSM, DPU, ब्लैकबुक जर्मनी जैसे संस्थानों में बुलाया गया. वह 5 बार TEDx में बतौर स्पीकर बुलाए गए हैं. जेनेरिक आधार की बात की जाए तो यह छोटे स्थानीय स्टोर मालिकों को यूजर फ्रेंडली सॉफ्टवेयर प्रदान करता है, जिससे बिलिंग की जा सकती है. वहीं जेनेरिक आधार एप्लीकेशन से आम आदमी उसी छूट पर दवा मंगवा सकता है.