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ब्रॉडकास्ट बिल में ऐसा क्या था जिस कारण घिर गई थी सरकार, कानून बनता तो क्या होता

ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को फिलहाल केंद्र सरकार ने होल्ड करने का फैसला लिया है. सरकार का कहना है कि विचार-विमर्श के बाद इस बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा. बता दें कि विपक्ष ने इस बिल को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे.

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ब्रॉडकास्टिंग बिल को केंद्र सरकार ने किया होल्ड.
ब्रॉडकास्टिंग बिल को केंद्र सरकार ने किया होल्ड.

ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को फिलहाल केंद्र सरकार ने होल्ड करने का फैसला लिया है. सरकार का कहना है कि विचार-विमर्श के बाद इस बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा. बता दें कि विपक्ष ने इस बिल को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे. साथ ही कई डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स भी इस बिल का विरोध कर रहे थे. तो ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ये बिल क्या था और इसका विरोध क्यों हो रहा था. 

जानें क्या है ब्रॉडकास्टिंग बिल

ब्रॉडकास्टिंग बिल के मौजूदा ड्राफ्ट के मुताबिक, डिजिटल या OTT प्लेटफॉर्म जैसे कि Youtube, X, Facebook, Instagram, Netflix, Prime Video पर प्रसारित होने वाले कॉन्टेंट को सरकार रेगुलेट करने जा रही थी. ड्राफ्ट के प्रावधानों में कहा गया है कि डिजिटल प्लेटाफार्म्स पर न्यूज प्रसारित करने वाले पब्लिशर्स को 'डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स' के नाम से जाना जाएगा. 

रेगुलेटरी बॉडी बनाने का था प्रस्ताव

इस ड्राफ्ट में डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बॉडी 'ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया' बनाने का प्रस्ताव था. इसके अलावा सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम बनाने का प्रस्ताव ब्रॉडकास्टिंग बिल के ड्राफ्ट में किया गया था. सेल्फ रेगुलेशन के लिए ​टू-टियर सिस्टम फॉलो नहीं करने पर सरकार के हस्तक्षेप का प्रावधान ड्राफ्ट में था.

डिजिटल कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए निगरानी समिति बनाने का भी इस बिल में प्रावधान था. यह कमिटी वैसे ही काम करती जैसे सिनेमा के लिए सेंसर बोर्ड करता है. यानी डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रसारित होने वाले कॉन्टेंट को यह कमिटी कंप्लायंस सर्टिफिकेट देती. 

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​डिजिटल क्रिएटर्स क्यों कर रहे थे ड्राफ्ट बिल का विरोध? 

इस बिल का इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल पब्लिशर्स भी विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि यह इस बिल के जरिए सरकार डिजिटल कॉन्टेंट क्रिएटर्स पर एक तरह से सेंसरशिप लगा रही है. इस बिल के लागू होने के बाद कोई सरकार की आलोचना नहीं कर सकेगा. 

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल को किया होल्ड, कहा- चर्चा के बाद ​फिर तैयार होगा नया ड्राफ्ट

टू-टियर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम पर भी हितधारकों की ओर से विरोध दर्ज कराया गया था. बिल के ड्राफ्ट में डेटा के लोकलाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का एक प्रावधान जोड़ा गया था. इसे लेकर स्टेकहोल्डर्स का कहना था कि यह प्रावधान निजता का उल्लंघन करेगा. उन्होंने इसके दुरुपयोग की संभावना जताई ​थी.

विपक्ष ने बताया था फ्री स्पीच पर पहरा

कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक में शामिल अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी इस बिल का विरोध किया था. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और फ्री प्रेस के लिए खतरा बताया था. विपक्ष का कहना था कि इस बिल के जरिए व्यक्तिगत कंटेंट बनाने वालों को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है. विपक्ष ने सरकार से विधेयक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में सिविल सोसाइटी के सदस्यों, पत्रकारों और प्रमुख हितधारकों को शामिल करने की मांग की थी.

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सरकार का क्या था तर्क

केंद्र सरकार का तर्क था कि वह इस बिल के जरिए सभी ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाना चाहती है. केंद्र सरकार का तर्क था कि इससे फेक न्यूज पर लगाम लग सकेगी. सरकार का कहना था कि इस नए बिल के लागू हो जाने के बाद किसी भी OTT या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलाए जाने वाले हेट स्पीच, फेक न्यूज या अफवाहों के लिए प्लेटफॉर्म को अकाउंटेबल बनाया जा सकेगा.

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