
पूर्वोत्तर के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी संगठन उल्फा-I के उप कमांडर इन चीफ दृष्टि राजखोवा ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया है. बुधवार को राजखोवा ने अपने चार बॉडीगार्ड के साथ भारतीय सेना की रेड हॉर्न्स डिवीजन के सामने सरेंडर किया. ये सरेंडर मेघालय में हुआ है, जिसके बाद राजखोवा को असम लाया जा रहा है.
उल्फा-I के प्रमुख परेश बरुआ के बाद दृष्टि राजखोवा को ही संगठन का सबसे ताकतवर लीडर माना जाता था. जब बरुआ चीन में शिफ्ट हुआ तब असम, मेघालय और बांग्लादेश से सटे इलाकों में रहकर राजखोवा ही पूरा संगठन चलाता था. साथ ही चीन में बैठे परेश बरुआ के लिए पूर्वोत्तर से जुड़ी अहम खबरों, इनपुट, फंडिंग पहुंचाने का काम करता था.

नॉर्थ ईस्ट के राज्यों और बांग्लादेश में दृष्टि राजखोवा अवैध हथियारों का कारोबार चला रहा था, साथ ही कई उग्रवादी संगठनों को पैसा और हथियार सप्लाई कर रहा था. पिछले दस साल में कई बार दृष्टि राजखोवा को पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार वो बचता रहा. लेकिन अब उसने खुद ही सरेंडर कर दिया.
सूत्रों की मानें, तो मिलिट्री इंटेलिजेंस पिछले करीब नौ सालों से दृष्टि राजखोवा पर नजर बनाए हुए थे. इस दौरान एक ऑफिसर लगातार राजखोवा के संपर्क में था, जिसने कई बार उसे सरेंडर करने को कहा. ऑफिसर की ओर से समझाया गया कि वो उग्रवादी संगठन छोड़कर नॉर्मल लाइफ में वापस आए, लेकिन अब जाकर दृष्टि राजखोवा ने इस बात को कबूला. जब उसने सरेंडर की बात कही, तो ऊपरी लेवल से इजाजत लेने के बाद इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया.
जिसके बाद बुधवार को इंडियन आर्मी की रेड हॉर्न्स डिवीजन की मदद से दृष्टि राजखोवा का सरेंडर करवाया गया. उसने अपने चार बॉडीगार्ड के साथ सरेंड किया, साथ ही उसके पास एक एके 81 और दो पिस्टल भी थीं. भारतीय सेना को उम्मीद है कि अब जब इतनी बड़ा उग्रवादी सरेंडर कर चुका है तो कई और उग्रवादी भी सरेंडर करेंगे.