
युगपुरुष भीमराव अंबेडकर ने भारत के सामाजिक इतिहास को एक नई दिशा दी है. ये एक ऐसा व्यक्तित्व जो सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि विचारों की एक क्रांति है. वे एक ऐसे पथप्रदर्शक थे, जिनका जीवन संघर्ष, ज्ञान और समानता की मिसाल है.
एक बच्चा जो अछूत समझा गया, वही बड़ा होकर भारत का संविधान निर्माता बना. अंबेडकर ने भारत की आत्मा को नया आकार दिया.
शिक्षा पूरी करने के बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भारत आकर सामाजिक क्रांति की शुरुआत की.
उन्होंने देखा कि दलितों को मंदिरों में जाने, सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी लेने और समाज के साथ बराबरी से रहने का अधिकार नहीं हैं.
1927 में उन्होंने महाड़ सत्याग्रह की शुरुआत की, जहां उन्होंने दलितों के साथ चवदार तालाब से पानी पिया. ये एक प्रतीक था सामाजिक समानता का.
उन्होंने नासिक का कालाराम मंदिर सत्याग्रह भी किया, जिसमें दलितों के मंदिर प्रवेश के अधिकार की मांग की गई.
उनकी पत्रिका मूकनायक और बहिष्कृत भारत समाज के दबे हुए वर्ग की आवाज़ बनीं.
इस बीच, उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि सामाजिक बराबरी के बिना राजनीतिक आज़ादी अधूरी है.
भारत के संविधान निर्माता, महान विचारक और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान पर हुआ था.