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'कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया?', रेणुकास्वामी हत्याकांड में एक्टर दर्शन को जमानत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने कन्नड़ अभिनेता दर्शन और अन्य आरोपियों को मिली जमानत पर कर्नाटक हाईकोर्ट को जमकर फटकार लगाई. CJI जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट की कड़ी आलोचना करते हुए सवाल किया कि क्या हर ज़मानत याचिका में एक जैसा आदेश पारित किया जाता है? क्या यही हाईकोर्ट जज की समझदारी है? अगर ये सत्र न्यायालय होता, तो समझ आता, लेकिन हाईकोर्ट से ऐसी गलती?

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 एक्टर दर्शन की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को फटकार लगाई (File Photo: ITG))
एक्टर दर्शन की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को फटकार लगाई (File Photo: ITG))

सुप्रीम कोर्ट ने कन्नड़ अभिनेता दर्शन और अन्य आरोपियों को मिली जमानत पर कर्नाटक हाईकोर्ट को जमकर फटकार लगाई. ये केस 33 वर्षीय रेणुकास्वामी की हत्या से जुड़ा है, जिसमें दर्शन और उनकी करीबी पवित्रा गौड़ा सहित कई आरोपी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस केस में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए.

CJI जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट की कड़ी आलोचना करते हुए सवाल किया कि क्या हर ज़मानत याचिका में एक जैसा आदेश पारित किया जाता है? क्या यही हाईकोर्ट जज की समझदारी है? अगर ये सत्र न्यायालय होता, तो समझ आता, लेकिन हाईकोर्ट से ऐसी गलती? बेंच ने कहा कि हम हाईकोर्ट के रवैये से चिंतित हैं. देखिए कि यह कैसे किया गया है. क्या यह एक हाईकोर्ट जज की समझ है? अगर कोई सत्र न्यायाधीश होता तो हम समझ सकते थे, लेकिन एक हाईकोर्ट जज ऐसी गलती कैसे कर सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह 'विवेक का विकृत प्रयोग' है. साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच कर रहा है कि क्या हाईकोर्ट ने इतने गंभीर मामले में जमानत देने से पहले अपने विवेक का उचित इस्तेमाल किया भी था या नहीं. कोर्ट ने साफ कहा कि हम वही गलती नहीं दोहराएंगे जो हाईकोर्ट ने की. यह हत्या और साजिश का मामला है, इसलिए हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं.

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ये सुनवाई कर्नाटक राज्य सरकार की याचिका पर हो रही थी, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा 13 दिसंबर 2024 को दर्शन और अन्य आरोपियों को ज़मानत दिए जाने के आदेश को चुनौती दी गई है.

पवित्रा गौड़ा पर भी तीखी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान अदालत ने सह-आरोपी पवित्रा गौड़ा के वकील से कहा कि ये सब कुछ आपके कारण हुआ. अगर आप न होतीं, तो A2 (दर्शन) को दिलचस्पी नहीं होती, और यदि A2 को दिलचस्पी नहीं होती, तो बाकी लोग भी शामिल न होते. इसलिए, आप इस पूरे मामले की जड़ हैं. हालांकि पवित्रा की ओर से वकील ने तर्क दिया कि उन्हें आपत्तिजनक मैसेज मिले थे और अपहरण या हत्या में शामिल आरोपियों से उनके कॉल रिकॉर्ड का कोई सीधा संबंध नहीं है. लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि वह 'सूक्ष्म दलीलों' की जांच नहीं कर रही है. पीठ ने कहा कि हमें देखना होगा कि अभियोजन पक्ष का मामला भरोसेमंदहै या नहीं.

गवाहों को नजरअंदाज़ क्यों किया?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने गार्ड के रूप में काम कर रहे किरण और पुनीत के प्रत्यक्षदर्शी बयानों को कैसे खारिज कर दिया. पीठ ने पूछा कि हाईकोर्ट ने उन्हें विश्वसनीय गवाह क्यों नहीं कहा? सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हमारा आखिरी सवाल ये है कि आख़िर हाईकोर्ट ने इन दो गवाहियों को किस आधार पर खारिज किया?

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क्या थी स्टेट की दलील?

राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि कॉल डेटा रिकॉर्ड, लोकेशन, DNA और वाहन से बरामद सामग्री सभी गवाहियों के अनुरूप हैं.

तस्वीरें लेकर 'पोज' क्यों कर रहे थे आरोपी?

एक अन्य आरोपी से जब्त मोबाइल फोन की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चौंकाने वाला सवाल पूछा कि आरोपी नंबर 10 से मोबाइल मिला, जिसमें मारपीट की तस्वीरें थीं. आखिर कोई हमले की तस्वीरें क्यों खींचेगा? जब यह बताया गया कि ये तस्वीरें A2 (दर्शन) को भेजी गई थीं और एक फोटो में मृतक गिड़गिड़ाता दिख रहा है, तो कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि ये अविश्वसनीय है लूथरा. ये लोग पिटाई के दौरान पोज दे रहे हैं? अब हमें समझ में आ गया कि ये 'कल्ट' क्या है जो अभिनेताओं को पूजता है. इस पर लूथरा ने कहा कि आरोपी सभी दर्शन के फैन क्लब से जुड़े हैं और कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.

हाईकोर्ट की भूमिका पर रहेगा फोकस

सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दोष सिद्धि या बरी किए जाने पर कोई निर्णय नहीं देगा, लेकिन हाईकोर्ट के आचरण की समीक्षा जरूर करेगा और उसी के अनुसार फैसला लेगा.

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