सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अदालत में अनुपस्थित रहने के लिए नाराजगी जाहिर करते हुए कड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम इस व्यवहार की सराहना नहीं करते. जब हम नोटिस जारी करते हैं तो उन्हें अदालत में पेश होना ही होगा. यह कैसे कहा जा सकता है कि वे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश नहीं होंगे?'
क्या है मामला?
यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने से जुड़ी है, जिसमें इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड. के प्रमोटरों द्वारा फंड की हेराफेरी के गंभीर आरोपों की कोर्ट-निगरानी वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) जांच की मांग को खारिज कर दिया गया था.
प्रमुख दलीलें और टिप्पणियां
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि कोई प्राथमिक अपराध न होने के कारण वह कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है. इसी के चलते सीबीआई को मामला दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया था.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि 'यह मामला फंड के हेराफेरी से जुड़ा है. ऐसे में केंद्रीय एजेंसियों को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करनी चाहिए थी'.
कोर्ट ने कहा, 'मामले में सीबीआई को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी किया गया था. क्या उनमें इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वो पेश हो?'
हालांकि, जब मामला तुल पकड़ने लगा तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पेश हुए और अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा है ताकि सीबीआई से निर्देश ले सकें. कोर्ट ने यह समय दिया लेकिन यह भी कहा, 'सीबीआई को किसी औपचारिक शिकायतकर्ता की आवश्यकता नहीं होती. उनके पास पहले से ही सब रिकॉर्ड होते हैं, तो उन्हें और क्या जानकारी की आवश्यकता है?'