गाजियाबाद जेल में बंद एक व्यक्ति को जमानत का आदेश मिलने के बावजूद रिहा न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वो 5 लाख रुपए अंतरिम मुआवजा के तौर पर आरोपी आफताब को दे. सुप्रीम कोर्ट के जमानत पर रिहाई के आदेश के बाद रिहा ना किए जाने की जांच गाजियाबाद जिला जज को सौंपी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 27 जून तक कंप्लायंस रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट 18 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा. इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश के डीजी जेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट को देखने के बाद हम तय करेंगे कि मुआवजे की राशि जिम्मेदार अधिकारी से वसूली जा सकती है क्या.
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'दोषी अधिकारी को चुकानी होगी कीमत'
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आपने उसे कल ही रिहा कर दिया और इससे पता चलता है कि आपने हमारे आदेश की अवहेलना की. आपने उसे केवल तकनीकी आधार पर सलाखों के पीछे रखा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट देखने दीजिए अगर किसी को दोषी पाया जाता है तो हम व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करेंगे. अगर कोई अधिकारी इसमें शामिल है तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी.
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क्या है केस?
सुप्रीम कोर्ट ने डीजी जेल से कहा कि अदालत के आदेश का कैसे पालन किया जाना चाहिए ये अपने अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बताइए. अगर अदालत के आदेश के बावजूद लोगों को सलाखों के पीछे रखा जाए तो हम क्या संदेश दे रहे हैं? बता दें कि आफताब नाम के व्यक्ति के खिलाफ अवैध धर्मांतरण के आरोप में 2024 में मुकदमा दर्ज किया गया था. 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में उसे जमानत दे दी थी.