आंध्र प्रदेश को झकझोर देने वाले एक भयावह मामले में, एक आदिवासी महिला को अपने बेटे की लाश मिली, जिसे उसने 25,000 रुपये के कर्ज के बदले गिरवी रखा था. बेटे को तमिलनाडु के पड़ोसी इलाके में चुपचाप दफनाया गया था. दरअसल आरोपी तिरुपति में बत्तख पालन का काम करता है. उस पर आरोप है कि उसने पीड़ित महिला अनक्कम्मा और उसके तीन बच्चों को एक साल तक बंधुआ मजदूरी में रखा.
25,000 रुपये के उधार का मामला
अनक्कम्मा के पति चेंचैया ने आरोपी से 25,000 रुपये उधार लिए थे. चेंचैया की मृत्यु के बाद आरोपी ने पूरे परिवार को जबरन मजदूरी के लिए रोके रखा. यानादी जनजाति से ताल्लुक रखने वाला यह परिवार बेहद गरीब और कमजोर वर्ग से आता है जो एक साल तक बहुत बुरे हालात में मजदूरी करता रहा.
आरोपी ने कर्ज की रकम को ब्याज के नाम पर बढ़ाकर 45,000 रुपये कर दिया और कहा कि जब तक पैसा नहीं चुकाया जाएगा, वह उन्हें नहीं छोड़ेगा. जब अनक्कम्मा ने विनती की, तो उसने शर्त रखी कि उसे एक बच्चा गिरवी रखना होगा. मजबूरी में अनक्कम्मा मान गई.
12 अप्रैल को हुई थी आखिरी बार बात
अनक्कम्मा की अपने बेटे से कभी-कभी फोन पर बात होती थी. बेटा बार-बार अपनी मां से उसे बचाने की गुहार लगाता और दिन-रात काम कराने की शिकायत करता. उसकी मां से आखिरी बात 12 अप्रैल को हुई थी. अप्रैल के आखिर में अनक्कम्मा ने किसी तरह पैसे का इंतजाम कर लिया, लेकिन जब वह बेटे को वापस लेने पहुंची, तो आरोपी ने बहाने बनाने शुरू कर दिए. कभी कहा कि लड़के को कहीं भेज दिया है, फिर कहा कि वह अस्पताल में है, और आखिर में कहा कि वह भाग गया है.
आरोपियों ने किया पीलिया से मौत का दावा
शक होने पर अनक्कम्मा ने जनजातीय नेताओं की मदद ली और स्थानीय पुलिस से संपर्क किया. पूछताछ में आरोपी ने कुबूल किया कि लड़के की मौत हो चुकी है और उसे तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में अपने ससुराल के पास दफना दिया गया था.
मंगलवार को पुलिस ने लाश को कब्र से बाहर निकाला. तिरुपति के जिलाधिकारी वेंकटेश्वर ने बताया, 'हमें सीसीटीवी फुटेज मिला है जिसमें लड़के को अस्पताल ले जाते हुए देखा जा सकता है. आरोपी कह रहे हैं कि लड़के की मौत पीलिया (जॉन्डिस) से हुई, लेकिन चुपचाप दफनाना और परिवार को सूचना न देना संदेह पैदा करता है.'
आरोपी, पत्नी और बेटा गिरफ्तार
आरोपी, उसकी पत्नी और बेटा, तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन पर बंधुआ मजदूरी अधिनियम, बाल श्रम कानून, किशोर न्याय अधिनियम, अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, और भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. फिलहाल पोस्टमार्टम किया जा रहा है ताकि मौत के सही कारण का पता चल सके.