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12 राज्यों और UTs में SIR 2.0 प्रोसेस शुरू... घर-घर पहुंचकर फॉर्म बांट रहे BLO, तैयार रखें ये डॉक्यूमेंट्स

भारतीय चुनाव आयोग ने 9 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में अपने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का दूसरा फेज़ शुरू कर दिया है. इस कैंपेन का मकसद वोटर लिस्ट को अपडेट करना है. इसके साथ ही, इस दौरान 51 करोड़ वोटर्स की एलिजिबिलिटी को भी वेरिफाई किया जाएगा.

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4 दिसंबर तक चलेगा एसआईआर प्रोसेस (File Photo: PTI)
4 दिसंबर तक चलेगा एसआईआर प्रोसेस (File Photo: PTI)

चुनाव आयोग आज से नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का दूसरा फेज़ शुरू कर रहा है. यह वोटर लिस्ट को साफ करने की एक मुहिम है. यह कदम बिहार में विधानसभा चुनावों के पहले फेज़ से दो दिन पहले उठाया गया है, जहां चुनावी प्रक्रिया हुई थी और वेरिफिकेशन के बाद 68 लाख से ज़्यादा नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए थे.

इस अभियान में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के लगभग 51 करोड़ वोटर शामिल होंगे. इनमें से तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं.

एसआईआर 2.0 के तहत, एन्यूमरेशन का स्टेज आज से शुरू हो रहा है और 4 दिसंबर तक चलेगा. इलेक्शन कमीशन 9 दिसंबर को ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल जारी करेगा और फाइनल इलेक्टोरल रोल 7 फरवरी, 2026 को पब्लिश किए जाएंगे. नागरिक 9 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच क्लेम और ऑब्जेक्शन फाइल कर सकते हैं, जिसके बाद सुनवाई और वेरिफिकेशन 31 जनवरी, 2026 तक पूरे कर लिए जाएंगे.

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अलग-अलग राज्यों में शुरू हुआ प्रोसेस

उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से जानकारी सामने आई है कि वेरिफिकेशन प्रोसेस शुरू हो चुका है. चुनाव आयोग ने मंगलवार को वोटर लिस्ट में सुधार करने के मकसद से उत्तर प्रदेश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) एक्सरसाइज शुरू कर दिया है.

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पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में BLOs ने घर-घर जाकर गिनती का काम शुरू किया है. BLO इकबाल सिंह (टीचर) ने वोटरों को घर-घर जाकर गिनती के फॉर्म बांटना शुरू किया है. उन्हें लोगों को प्रोसेस और फॉर्म भरने का तरीका समझाते हुए देखा गया है.

अधिकारियों ने बताया कि एसआईआर प्रोसेस 'शुद्ध निर्वाचक नामावली- मजबूत लोकतंत्र' थीम के तहत शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत, बूथ-लेवल अधिकारी (BLO) मंगलवार से 4 दिसंबर तक हर घर जाकर वोटर्स की डिटेल्स वेरिफाई और अपडेट करेंगे.

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अपने डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें

यह स्टेप सिर्फ़ उन वोटर्स पर लागू होता है, जो पिछले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की किसी भी इलेक्टोरल रोल में अपना नाम, या अपने माता-पिता या रिश्तेदार का नाम नहीं ढूंढ पाए हैं. अगर आपने पहले ही अपना फ़ॉर्म जमा कर दिया है लेकिन 'पिछले SIR' वाले फ़ील्ड खाली छोड़ दिए हैं, तो ऐसे डॉक्यूमेंट्स दिखाने के लिए तैयार रहें जो इलेक्टोरल रोल में बने रहने की आपकी एलिजिबिलिटी साबित करते हों. ड्राफ़्ट रोल 9 दिसंबर को पब्लिश होने के बाद आपसे ये डॉक्यूमेंट्स दिखाने के लिए कहा जाएगा. लिस्ट में शामिल किए गए दस्तावेजों में से कम से कम एक रखना अनिवार्य है.

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1. किसी भी सेंट्रल गवर्नमेंट/स्टेट गवर्नमेंट/पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के रेगुलर कर्मचारी/पेंशनर को जारी किया गया कोई भी आइडेंटिटी कार्ड/पेंशन पेमेंट ऑर्डर
2. 01.07.1987 से पहले भारत में सरकार/स्थानीय अधिकारियों/बैंकों/पोस्ट ऑफिस/LIC/PSUs द्वारा जारी किया गया कोई भी आइडेंटिटी कार्ड/सर्टिफिकेट/डॉक्यूमेंट
3. सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया जन्म प्रमाण पत्र
4. पासपोर्ट
5. मान्यता प्राप्त बोर्ड/यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किया गया मैट्रिकुलेशन/शैक्षणिक प्रमाण पत्र
6. सक्षम राज्य प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाण पत्र
7. वन अधिकार प्रमाण पत्र
8. सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया OBC/SC/ST या कोई भी जाति प्रमाण पत्र
9. नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स
10. राज्य/स्थानीय अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया परिवार रजिस्टर
11. सरकार द्वारा कोई भी भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र
12. 01.07.2025 के संदर्भ में बिहार SIR की मतदाता सूची का अंश
13. आधार कार्ड (केवल पहचान के प्रमाण के रूप में, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं)
 

प्री-मैपिंग प्रोसेस पूरा

अब तक चुनाव आयोग ने करीब एक प्री-मैपिंग प्रोसेस पूरा कर लिया है, जिसमें मौजूदा वोटर्स लिस्ट को 2002 से 2004 की लिस्ट से मिलाया जा रहा है, जब इनमें से ज़्यादातर राज्यों और UTs में आखिरी SIR हुआ था. 

मौजूदा SIR आज़ादी के बाद से नौवां ऐसा काम है और आखिरी बार 2002-04 में हुआ था. राज्यों में आखिरी SIR कट-ऑफ डेट के तौर पर काम करेगा, ठीक वैसे ही जैसे बिहार की 2003 की वोटर लिस्ट का इस्तेमाल चुनाव आयोग ने गहन रिवीजन के लिए किया था.

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SIR का अहम मकसद जन्म स्थान की जांच करके अवैध विदेशी प्रवासियों को बाहर निकालना है. यह कदम कई राज्यों में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद महत्वपूर्ण हो जाता है, खासकर पश्चिम बंगाल में, जहां तृणमूल कांग्रेस वोटर्स लिस्ट की सफाई के काम को लेकर विरोध कर रही है.

कैसे होगा यह प्रोसेस?

चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने कहा है, "SIR एक डिटेल्ड, लोगों पर फोकस करने वाला काम होगा, जिसमें बूथ लेवल ऑफिसर (BLOs) वोटर डिटेल्स वेरिफाई करने के लिए हर घर में तीन बार जाएंगे."

BLOs इस रिवीजन प्रोसेस में सबसे ज़रूरी भूमिका निभाएंगे. वे शामिल होने की चाह रखने वाले नए वोटर्स से फॉर्म 6 और डिक्लेरेशन फॉर्म इकट्ठा करेंगे, वोटर्स को एन्यूमरेशन फॉर्म भरने में मदद करेंगे और उन्हें इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (EROs) या असिस्टेंट EROs को जमा करेंगे.

ज्ञानेश कुमार ने कहा, "BLOs वोटर को एन्यूमरेशन फॉर्म भरने, उसे इकट्ठा करने और EROs/AEROs को जमा करने में मदद करेंगे." उन्होंने यह भी बताया कि हर BLO कम से कम तीन बार हर घर जाएगा.

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अगर कोई एन्यूमरेशन फॉर्म वापस नहीं मिलता है, तो BLO पड़ोसियों से बात करके और जानकारी रिकॉर्ड करके इसका कारण पता लगाएगा- जैसे कि मौत या डुप्लीकेशन. ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में सिर्फ उन्हीं लोगों को शामिल किया जाएगा, जो एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करेंगे.

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ड्राफ्ट लिस्ट पब्लिश होने के बाद, इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर उन लोगों को नोटिस जारी करेंगे, जिनके नाम पहले के SIR रिकॉर्ड से लिंक नहीं हो पाए हैं, जिससे उनकी एलिजिबिलिटी वेरिफाई की जा सके.

चुनाव आयोग वॉलंटियर्स को तैनात करेगा, जिससे असली वोटर्स, खासकर बूढ़े, बीमार, PwD, गरीब और दूसरे कमज़ोर ग्रुप्स को परेशान न किया जाए और उन्हें जितना हो सके उतनी मदद दी जाए. चुनाव आयोग का मानना ​​है कि SIR यह पक्का करेगा कि कोई भी योग्य वोटर छूट न जाए और कोई भी अयोग्य वोटर इलेक्टोरल रोल में शामिल न हो.

बिहार SIR के बाद नियमों में बदलाव...

बिहार में SIR प्रोसेस के दौरान फॉलो किए जाने वाले नियमों में बदलाव करते हुए, चुनाव आयोग ने SIR के बाद पब्लिश हुई बिहार की वोटर लिस्ट और आधार कार्ड को उन इंडिकेटिव डॉक्यूमेंट्स की लिस्ट में शामिल किया है, जिन्हें लोगों को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जमा करना होगा.

चुनाव आयोग ने अपनी फील्ड मशीनरी को निर्देश दिया है कि वोटर्स को एन्यूमरेशन स्टेज पर ही डॉक्यूमेंट्स जमा करने की ज़रूरत नहीं है. जो लोग अपने-अपने राज्य के पिछले SIR से लिंक नहीं हो पाएंगे, उन्हें इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद डॉक्यूमेंट्स देने होंगे. 30 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार की फाइनल वोटर लिस्ट जारी की, जिसमें करीब 7.42 करोड़ नाम थे. सूबे में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग होगी और नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

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अभी असम में SIR लागू नहीं...

असम, एक और राज्य जहां 2026 में चुनाव होने हैं, वहां वोटर लिस्ट में सुधार का ऐलान अलग से किया जाएगा, क्योंकि सूबे में नागरिकता वेरिफाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एक प्रक्रिया चल रही है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को SIR के लेटेस्ट चरण की घोषणा करते हुए कहा, "नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं. सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में नागरिकता जांचने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है. 24 जून का SIR आदेश पूरे देश के लिए था, ऐसी परिस्थितियों में, यह असम पर लागू नहीं होगा."

उन्होंने आगे कहा, "इसलिए असम के लिए अलग से सुधार आदेश जारी किए जाएंगे, और SIR की तारीख भी अलग से घोषित की जाएगी."

DMK ने SIR को चुनौती दी

एसआईआर 2.0 शुरू होने से पहले, तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में SIR को चुनौती दी. मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने चुनाव आयोग पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले 'असली वोटर्स' को हटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

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जब जून में बिहार में SIR लॉन्च किया गया था, तो कई राजनीतिक पार्टियों ने दावा किया था कि इससे करोड़ों योग्य नागरिकों के पास डॉक्यूमेंट्स न होने की वजह से वे वोट नहीं दे पाएंगे. जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो चुनाव आयोग ने अपने फैसले का बचाव किया और भरोसा दिलाया कि भारत के किसी भी योग्य नागरिक को बाहर नहीं किया जाएगा.

(पीटीआई के इनपुट के साथ)

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